Updated on: 07 December, 2023 10:50 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ (sam manekshaw) के किरदार के लिए विक्की कौशल की सराहना की जा रही है. मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित फिल्म के लिए विक्की कौशल अपनी एक्टिंग से शानदार एक्टिंग करके कामयाब रहे हैं.
रवीना टंडन के पिता रवि टंडन के साथ सैम मानेकशॉ.
भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ (sam manekshaw) के किरदार के लिए विक्की कौशल की सराहना की जा रही है. मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित फिल्म के लिए विक्की कौशल अपनी एक्टिंग से शानदार एक्टिंग करके कामयाब रहे हैं. `सैम बहादुर` सिनेमाघरों में सफलतापूर्वक चल रही है, अभिनेत्री रवीना टंडन यादों की गलियों में चली गईं और हमें 1974 में वापस ले गईं जब सैम मानेकशॉ एक फिल्म के सेट पर अपने पिता रवि टंडन से मिलने गए थे.
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रवीना टंडन ने अपने इंस्टाग्राम फीड पर सैम मानेकशॉ और उनके पिता की 1974 की फिल्म `मजबूर` के सेट पर एक साथ पोज देते हुए एक ब्लैक और व्हाइट फोटो शेयर की है.
तस्वीर शेयर करते हुए रवीना ने लिखा, `एक फ्रेम में दो हीरो... एक, सैम मानेकशॉ, जिनके लिए यह देश और इसकी पीढ़ियां हमेशा आभारी रहेंगी, हमारी मातृभूमि का बेटा.. और दूसरा मेरा हीरो, रवि टंडन.` हमेशा के लिए मेरी प्रेरणा... ♥️
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मेरे पिता रवि टंडन से मुलाकात की. 1974 में इस फोटो के लिए फिल्म इतिहासकार और पुरालेखपाल एसएमएम औसाजा को पिक क्रेडिट दिया है.
यह तस्वीर किसी अखबार के कटआउट की लग रही है. फोटो पर कैप्शन में लिखा है, "फील्ड मार्शल एस.एच.एफ.जे. मानेकशॉ ने हाल ही में नासिक में प्रेमजी की फिल्म मजबूर की शूटिंग लोकेशन का दौरा किया. यहां वह फिल्म के निर्देशक रवि टंडन के साथ नजर आ रहे हैं."
फिल्म `मजबूर` का निर्देशन रवि टंडन ने किया था और सलीम-जावेद ने लिखा था. फिल्म में अमिताभ बच्चन के अलावा परवीन बाबी, प्राण, फरीदा जलाल, सुलोचना लाटकर, सत्येन कप्पू, इफ्तिखार, जगदीश राज और रहमान भी थे. रवि टंडन ने कई हिट फिल्मों का निर्देशन किया, इनमें से सबसे लोकप्रिय हैं `खेल खेल में`, `अनहोनी`, `नजराना`, `मजबूर`, `खुद-दार, जिंदगी`.
सैम के पोते जेहान मानेकशॉ ने भी उनकी जमकर तारीफ की है. जब हमने जेहान से बात की, तो उन्होंने कौशल के समर्पण की सराहना करते हुए कहा, “निर्माण के दौरान, मैंने श्री कौशल द्वारा भूमिका में किए गए काम को देखा और इसका फल मिला. मेरे दादाजी का एक आदर्श वाक्य था - कड़ी मेहनत करो, कड़ी मेहनत करो. तैयारी के तौर पर विक्की ने कड़ी मेहनत की. उन्होंने अपना दिल मेरे दादाजी के नाटक-अभिनय में लगाया. उन्हें किरदार को जीवंत करते हुए देखना बहुत अच्छा था. उन्होंने बहुत अच्छे से भूमिका निभाई.”
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