Updated on: 06 December, 2023 12:28 PM IST | mumbai
26 साल की उम्र में सौभाग्य के इंस्टाग्राम पर 56 हजार फॉलोअर्स हैं. उन्होंने जर्नलिस्म की पढ़ाई की है. वह मिश्राइन के किरदार के लिए जानी जाती हैं. सोशल मीडिया पर यूपी की भाषा को लेकर उनके रील्स फैंस पसंद करते हैं.
लखनऊ की सौभाग्य दीक्षित चला रही हैं फैंस पर रील्स का जादू
सोशल मीडिया पर इन दिनों रील्स बनाने, फेम पाने के लिए कॉम्पिटिशन बढ़ता ही जा रहा है. हर किसी को फेमस होना है और फैंस के दिलों पर राज करना है. ऐसे में नए आइडिया के साथ साफ सुथरे रील्स बनाने का काम कम लोग कर पा रहे है. इनमें से चुनकर हम आपके लिए एक सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर और इन्फ्लुएंसर लाए हैं.
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उनका नाम है सौभाग्य दीक्षित. 26 साल की उम्र में सौभाग्य के इंस्टाग्राम पर 56 हजार फॉलोअर्स हैं. उन्होंने जर्नलिस्म की पढ़ाई की है. वह मिश्राइन के किरदार के लिए जानी जाती हैं. सोशल मीडिया पर यूपी की भाषा को लेकर उनके रील्स फैंस पसंद करते हैं.
आपने सोशल मीडिया इंफ्यूएंसर बनना ही क्यों सोचा?
मैंने जर्नलिस्म की पढ़ाई की. साथ ही मैंने कुछ कंपनियों में इंटर्नशिप भी की. मैं अपने शौक के लिए ये रील्स बनाती थी. इसकी शुरुआत मैंने 2017-18 में की थी. हालांकि काम ज्यादा होने के कारण रील्स बनाना बंद हो गया था. रील्स बनाने की शुरुआत मैंने शौक के तौर पर ही की थी लेकिन धीरे-धीरे लोग पसंद कर रहे हैं तो इस फील्ड में भी आगे जा सकते हैं.
आप यूपी एक्सेंट पर ही क्यों रील बनाती हैं?
सभी लोग कुछ गानों पर या डेली रुटीन पर रील्स बनाते हैं, जो कि कॉमन है तो मैं कुछ अलग कर रही हूं. यूपी से होने के कारण यहां के शब्द ऐसे हैं जिन्हें सुनकर ही मजा आता है. साथ ही लोग इसे पसंद कर रहे हैं. अपने देश के कई राज्यों के अलावा विदेशों से भी लोग मुझे कमेंट्स करते हैं. प्रशंसा करते हैं, अच्छा तो लगता ही है. साथ ही आगे बढ़ने की, कुछ नया करने का हौसला भी मिलता है.
कॉम्पटीशन ज्यादा है तो सोशल मीडिया पर अपनी पकड़ बनाना कितना मुश्किल है?
सोशल मीडिया पर सब अपने अपने कांटेन्ट बना रहे हैं. अच्छे बुरे हर तरह के. मैं किसी गाने पर या किसी ट्रेंड को फॉलो नहीं करती. यूपी के कुछ सुनने में अजीब लगने वाले शब्दों पर रील बनाती हूं, जो लोग पसंद करते हैं. थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन लोग पसंद कर रहे हैं तो आगे भी बढ़ने का मौका मिल रहा है.
अपने ऑडियंस से जुड़ने के लिए आप क्या करती हैं?
ऑडियंस कनेक्ट करते हैं तो लोग और भी सरहना करते हैं. फैंस के साथ कनेक्ट करना भी जरूरी है. कमेंट्स पर या मैसेज में भी फैंस आइडिया देते हैं कि इस थीम पर बनाओ तो वहां से कुछ नया कंटेट लिखने का भी आइडिया मिलता है. इसलिए लगातार सोशल मीडिया पर फैंस के साथ जुड़ी रहती हूं. उनके सवालों के जवाब भी देती रहती हूं.
नेगेटिव कमेंट्स या ऐसा करने वाले लोगों से आप कैसे डील करती हैं?
नेगेटिव कमेंट्स लोग करते हैं तो थोड़ी निराशा होती है लेकिन वहीं अगर कुछ लोग आपको नपसंद कर रहे हैं तो बहुत से ऐसे लोग हैं जो आपको बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं. लाइफ में सिर्फ पॉजिटिविटी होना ही जरूरी नहीं है. हमें नेगेटिविट कमेंट्स या लोग मिलने चाहिए. इससे हमें क्या चीजें लाइफ में सुधारनी है, इसका भी पता चलता है.
आप वेस्टर्न आउटफिट में भी बहुत अच्छी लगती हैं तो एक गांव की या यूपी की टिपिकल महिला का किरदार ही क्यों चुना?
मैं लखनऊ से हूं तो यहां की महिलाएं इस तरह के ही कपड़े पहनती हैं. साथ ही उत्तर भारत में साड़ी का चलन ज्यादा है. बातें भी यहां की ही होती हैं, तो मैंने रील्स के लिए साड़ी पहनना ही चुना.
अपनी रील्स के लिए कंटेट मैनजमेंट और शेयरिंग आप कैसे करती हैं?
कंटेट क्रिएटिंग, रील मेकिंग से लेकर शेयरिंग तक का सारा काम मैं खुद ही करती हूं. फिलहाल कोई टीम नहीं है. आगे अगर जरूरत पड़ी तो जरूर टीम का सपोर्ट लूंगी.
एक ही साड़ी हर रील में क्यों पहनती हैं?
मैं खुद दीक्षित हूं लेकिन मिश्राइन का किरदार निभा रही हूं. फैंस कमेंट करते हैं कि आप साड़ी नहीं बदलते, आपके पास और साड़ी नहीं है क्या, लेकिन ये लाल साड़ी ही इस किरदार की पहचान बनी है तो मैं इसे बदलना नहीं चाहती.
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