Updated on: 24 September, 2024 03:30 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
हालांकि, निर्देशक अमर कौशिक का मानना है कि उनका इस्तेमाल कथानक को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.
अमर कौशिक
आइटम नंबरों को अक्सर इस बात के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है कि उनके बोल महिलाओं को वस्तु के रूप में पेश करते हैं और लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देते हैं. हालांकि, निर्देशक अमर कौशिक, जिनकी फिल्म स्त्री 2 में आइटम सॉन्ग "आज की रात" नारीवादी दृष्टिकोण से है, का मानना है कि उनका इस्तेमाल फिल्म के संदेश का समर्थन करने और कथानक को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. कौशिक को लगता है कि गीत को सार्थक बनाए रखते हुए भी "आइटम सॉन्ग वाली मसाला फिल्म" बनाना संभव है. वह बताते हैं कि बड़े बजट की फिल्मों के साथ, "पूर्ण पैकेज" पेश करना महत्वपूर्ण है. हालांकि, उन्होंने कहा कि आप जो संदेश देना चाहते हैं, उसके बारे में स्पष्ट होना बहुत ज़रूरी है.
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निर्देशक ने आगे कहा, “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लोग आइटम सॉन्ग देखने के लिए सिनेमाघरों में आते हैं. हालांकि, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि यह गुणवत्ता या सम्मान से समझौता किए बिना कहानी को पेश करे. लोगों को लगता है आइटम सॉन्ग है तो गंदे बोल ही होने चाहिए लेकिन मैं स्पष्ट था कि गाना मनोरंजक होना चाहिए और फिल्म के हिसाब से होना चाहिए, इसके बोल सार्थक होने चाहिए,” 41 वर्षीय निर्देशक ने कहा, जिन्होंने भेड़िया (2022) और बाला (2019) जैसी फ़िल्में निर्देशित की हैं.
उन्होंने कहा, “मेरा ब्रीफ बहुत स्पष्ट था, चलो बेल्ट से नीचे नहीं जाते क्योंकि फिल्म वैसी नहीं है. कुछ चीज़ों में फिल्म राजनीतिक रूप से सही होनी चाहिए. आप बोलो आप जो बोलना चाहते हो और अदाएं भी होनी चाहिए लेकिन जब आपके बोल सुनो तो लगे कि ये तो बड़ी बात बोल दी है`, ऐसा बाद में समझ आएगा,`.
स्त्री 2 के निर्देशक अमर कौशिक से जब पूछा गया कि क्या गाना फिल्म से अलग हो सकता है, तो क्या उन्हें कभी इस बात की चिंता हुई है कि आइटम नंबर का आकर्षक संगीत, डांस मूव्स और आकर्षक दृश्य उनके संदेश पर हावी हो सकते हैं, जिससे दर्शकों के लिए वह जो कहना चाह रहे हैं उससे जुड़ना मुश्किल हो जाएगा, कौशिक ने जवाब दिया, “अगर मैं इसिको भजन की तरह बोलूंगा तो कोई सुनेगा भी नहीं. जिसको समझा है, वही समझता है. जिसको नहीं समझा है, उसको आप समझ नहीं सकते.”
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह सूक्ष्म संदेश पितृसत्ता को चुनौती देने का उनका तरीका है, तो कौशिक कहते हैं, "अगर आप मेरी निर्देशित फिल्मों को करीब से देखें, तो पाएंगे कि उनमें महिलाओं की एजेंसी है," उन्होंने आगे कहा, "मैं बहनों के साथ बड़ा हुआ हूं और मैंने देखा है उनका संघर्ष. वो सब कुछ आपके ज़हन में होता है और फिर जब आप कोई फिल्म बना रहे होते हैं तो आप इसे (महिलाओं के संघर्ष को) `सामान्य` के रूप में नहीं दिखा सकते."
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