Updated on: 26 June, 2025 04:22 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस उपलब्धि का श्रेय एजेंसियों के प्रयासों को दिया. पिछले दो वर्षों में 1.93 प्रतिशत से घटकर 0.61 प्रतिशत है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस. फाइल फोटो
महाराष्ट्र में गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चों की संख्या पिछले दो वर्षों में 2023 में 80,248 से घटकर 2025 में 29,107 हो गई है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इसी तरह, इसी अवधि में मध्यम रूप से कुपोषित (एमएएम) बच्चों की संख्या 2.12 लाख या 5.09 प्रतिशत से घटकर 1.49 लाख या 3.11 प्रतिशत हो गई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस उपलब्धि का श्रेय विभिन्न राज्य विभागों और कल्याण एजेंसियों के समन्वित प्रयासों को दिया. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चों का प्रतिशत पिछले दो वर्षों में 1.93 प्रतिशत से घटकर 0.61 प्रतिशत है. मार्च 2025 में राज्य सर्वेक्षणों के तहत कुल 48 लाख से अधिक बच्चों की ऊंचाई और वजन मापा गया, जबकि 2023 में यह संख्या 41.6 लाख थी. मार्च 2023 में 80,248 की तुलना में मार्च 2025 तक एसएएम बच्चों की संख्या घटकर 29,107 हो गई. फडणवीस ने कहा, "यह उपलब्धि प्रभावी कार्यान्वयन, नियमित निगरानी और हजारों जमीनी कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के समर्पण का परिणाम है."
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रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा कि राज्य सरकार कुपोषण से निपटने के लिए कई पहलों को लागू कर रही है, जिसमें एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) भी शामिल है, जो छह महीने से तीन साल की उम्र के बच्चों के लिए घर ले जाने वाला राशन और 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों के लिए गर्म पका हुआ भोजन प्रदान करती है.
सीएमओ ने कहा कि एसएएम बच्चों को गांव स्तर और शहरी बाल विकास केंद्रों पर अतिरिक्त पोषण और चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है. रिपोर्ट के अनुसार अन्य उपायों के अलावा, `नर्चर` ऐप और न्यूट्रिशन ट्रैकर जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग व्यक्तिगत बाल स्वास्थ्य डेटा की निगरानी, पोषण की स्थिति को ट्रैक करने और खाद्य पूरकों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है.
नीति और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करने के लिए एक समर्पित टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जबकि साप्ताहिक क्षेत्र समीक्षा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए नियमित प्रशिक्षण ने जवाबदेही और जमीनी स्तर पर प्रभाव सुनिश्चित करने में मदद की है. रिपोर्ट के मुताबिक फडणवीस ने कहा, "महाराष्ट्र न केवल आर्थिक विकास में बल्कि सामाजिक कल्याण पहलों में भी अग्रणी बना हुआ है, खासकर मानव विकास और समावेशी प्रगति को लक्षित करने वाली पहलों में."
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