इस स्मारकीय उपलब्धि पर बात करते हुए, अंगद बेदी ने कहा, "यह जीत मेरे पिता को समर्पित है, वह हमेशा कहते थे कि अपना सिर नीचे रखो और अपने काम को बोलने दो. मैं हमेशा उनकी बुद्धिमत्ता से गहराई से प्रेरित रहा हूं. मैंने यह दौड़ इसलिए की क्योंकि मेरे पिता ऐसा चाहते थे. यह उनका और उनकी विरासत का सम्मान करने का मेरा तरीका है. खेल भावना मेरे खून में है. और मैं वही करना चाहता हूं जो मेरे पिता ने मुझसे उम्मीद की होगी. मैंने यह दौड़ उनके और उनके मूल्यों के सम्मान में की थी. उन्होंने अपने अद्भुत जीवन के दौरान मुझमें जो ऊर्जा भरी है, वह मेरे मार्गदर्शक के रूप में हमेशा मेरे साथ रहेंगे. मैं कोच ब्रिंस्टन मिरांडा के मार्गदर्शन के लिए भी बहुत आभारी हूं, जिनकी विशेषज्ञता ने मेरी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.``