अमरावती जिले से शुरू हुई यह ट्रैक्टर रैली धीरे-धीरे ‘महा एल्गार मोर्चा’ में बदल गई, जिसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों, विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र, से आए किसान शामिल हुए. (X/Pics, Bacchu Kadu)
उनकी मुख्य मांगें है: पूर्ण कर्जमाफी, बिजली बिल माफी, कृषि उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी और किसानों के बकाया बीमा दावों का तत्काल निपटारा.
रैली के नागपुर पहुंचते ही राजमार्ग पर हजारों की भीड़ जमा हो गई. किसान अपने ट्रैक्टर, झंडे और बैनरों के साथ “कर्जमाफी दो, नहीं तो सत्ता छोड़ दो” के नारे लगाते रहे. आंदोलन का दृश्य ऐसा था जैसे पूरा नागपुर किसानों की आवाज़ के साथ गूंज उठा हो.
बच्चू कडू ने मंच से सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा, `पिछले कई महीनों से हम सरकार से विनती कर रहे हैं — कभी आंदोलन के ज़रिए, कभी ज्ञापन देकर, तो कभी संवाद से. लेकिन राज्य सरकार ने जानबूझकर हमारी आवाज़ को दबाने की कोशिश की है. किसानों की समस्याओं को हल्के में लेना, सत्ता के अहंकार का प्रतीक है.`
उन्होंने आगे कहा, `अगर सरकार ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो कल दोपहर 12 बजे से हम रेलवे बंद करेंगे और ‘भारत बंद’ का आह्वान करेंगे. यह लड़ाई कुछ लोगों की नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के मेहनतकश वर्ग की है.`
प्रदर्शन में महिलाओं और युवा किसानों की बड़ी संख्या भी शामिल थी. वे बैनरों पर लिखे संदेशों के साथ सरकार से जवाब मांग रहे थे — `कर्जमाफी हमारा हक है, खैरात नहीं” और “जब तक कर्जमाफी नहीं, तब तक चैन नहीं.`
आंदोलनकारियों ने यह भी कहा कि जल संकट, बढ़ते इनपुट लागत और मौसम के बदलते मिज़ाज ने किसानों की कमर तोड़ दी है, जबकि सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित है.
नागपुर पुलिस ने किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए भारी पुलिस बंदोबस्त किया था. वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर भीड़ को शांत रखने का प्रयास किया. हालांकि, आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, पर इसका असर पूरे शहर के यातायात पर पड़ा.
राजनीतिक हलकों में इस आंदोलन को लेकर हलचल मच गई है. विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि अगर किसान सड़कों पर उतरने को मजबूर हो रहे हैं, तो इसका मतलब है कि सरकार जनता से कट चुकी है.
इस बीच, बच्चू कडू ने साफ किया कि जब तक उनकी 11 सूत्री मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा. उन्होंने कहा- `सरकार को यह समझना होगा कि महाराष्ट्र के किसान अब और इंतज़ार नहीं करेंगे. यह आंदोलन अब रुकने वाला नहीं है.`
राज्य के ग्रामीण इलाकों में इस प्रदर्शन को व्यापक समर्थन मिल रहा है, और संभावना है कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन राज्यव्यापी किसान विद्रोह का रूप ले सकता है.
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