सोनू सूद ने सार्वजनिक जलाशयों का इस्तेमाल करने के बजाय अपने घर पर ही बप्पा की विदाई की व्यवस्था की. (Pics / Yogen Shah)
उनका मानना है कि नदियों और झीलों को प्रदूषण से बचाना हर भक्त की जिम्मेदारी है. इस कदम से उन्होंने यह संदेश दिया कि परंपरा और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ निभाए जा सकते हैं.
बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद लंबे समय से समाजसेवा के लिए जाने जाते हैं. कोविड महामारी के दौरान उन्होंने प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुँचाने, मरीजों को दवा और ऑक्सीजन उपलब्ध कराने जैसे कई काम किए. अब गणेशोत्सव को स्थायी ढंग से मनाने का उनका निर्णय इसी सेवा भावना का विस्तार माना जा रहा है.
सोनू सूद ने कहा कि सच्ची भक्ति सिर्फ पूजा और परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि उस प्रकृति की रक्षा करना भी जरूरी है जिसे भगवान ने हमें दिया है.
पर्यावरण-अनुकूल गणपति विसर्जन करके उन्होंने लोगों को यह प्रेरणा दी कि हर कोई अपने घर से छोटे-छोटे बदलाव शुरू कर सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम तालाबों, घर पर बने टैंकों और मिट्टी में विसर्जन जैसे उपाय अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है.
सोनू सूद का यह कदम ऐसे ही प्रयासों को बढ़ावा देने वाला है.
उनका यह फैसला न केवल उनके प्रशंसकों बल्कि हर उस परिवार के लिए एक सीख है जो त्योहारों को मनाना चाहता है लेकिन साथ ही पर्यावरण की जिम्मेदारी भी निभाना चाहता है.
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