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रक्त, चीखें और कैमरा, वसई में महिला पर पारिवारिक हैवानियत की हदें पार

Updated on: 19 April, 2025 09:12 AM IST | Mumbai
Samiullah Khan | samiullah.khan@mid-day.com

मुंबई के कांदिवली में रहने वाली एक 43 वर्षीय महिला को 21 लाख रुपये के कर्ज़ विवाद के चलते उसके देवर और उसकी दूसरी पत्नी ने वसई बुलाकर बेरहमी से पीटा, निर्वस्त्र किया और इस अमानवीय कृत्य का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया.

(बाएं से) पीड़ित हमले के दौरान चेहरे पर आई चोट दिखाता हुआ; आरोपी और उसकी पत्नी, जो फिलहाल फरार हैं; वीडियो का एक स्क्रीनग्रैब जिसमें पीड़ित के साथ मारपीट होती दिख रही है

(बाएं से) पीड़ित हमले के दौरान चेहरे पर आई चोट दिखाता हुआ; आरोपी और उसकी पत्नी, जो फिलहाल फरार हैं; वीडियो का एक स्क्रीनग्रैब जिसमें पीड़ित के साथ मारपीट होती दिख रही है

कांदिवली की 43 वर्षीय महिला को उसके देवर और उसकी दूसरी पत्नी ने कथित तौर पर वसई बुलाकर बेरहमी से पीटा, निर्वस्त्र किया और इस पूरी हैवानियत का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया व रिश्तेदारों में प्रसारित कर दिया. महिला को यह कष्ट एक पारिवारिक कर्ज विवाद के चलते झेलना पड़ा, जिसमें उसने आरोपी को 21 लाख रुपये उधार दिए थे.

सूत्रों के मुताबिक, महिला को न सिर्फ बुरी तरह पीटा गया, बल्कि गर्म इस्त्री से उसके निजी अंगों को जलाया गया, बाल काटे गए और ब्लेड से चेहरे पर वार किया गया. इस अमानवीय हरकत का वीडियो बनाकर आरोपियों ने उसे चुप रहने की धमकी दी.


चार दिनों तक पीड़िता चुप रही, लेकिन जब उसका पति एक रिश्तेदार से वीडियो के बारे में जान गया, तब मामला सामने आया. पति ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. आरोपी फिलहाल घर में ताला लगाकर फरार हो चुके हैं.


पारिवारिक विश्वास बना कारण

पीड़िता और उसका परिवार कांदिवली में रहते हैं. उनके छह बच्चे हैं. महिला ने बताया कि उसके पति ने चारकोप स्थित अपना घर बेचकर जो पैसे मिले, उनमें से 21 लाख रुपये देवर को उधार दिए थे. देवर ने कहा था कि वह अपने गांव की ज़मीन बेचकर पैसे लौटा देगा. लेकिन जब परिवार को नया घर खरीदने के लिए पैसे की ज़रूरत पड़ी, तो देवर ने संपर्क काट लिया और फोन उठाना बंद कर दिया.


रमज़ान के दौरान जब सास की तबीयत बिगड़ी, तब भी उन्होंने मदद नहीं की, जिससे इलाज न मिल पाने की वजह से उनकी मौत हो गई. परिवार किराये के घर में रहने को मजबूर हो गया और पति की तबीयत भी बिगड़ गई.

झांसे में बुलाकर किया हमला

5 अप्रैल को देवर ने महिला को फोन कर वसई बुलाया, यह कहकर कि वह पैसे लौटाना चाहता है. चूंकि पति बीमार थे, महिला अकेली गई. वहां उसे देवर के घर बुलाया गया, जहां खिड़कियां बंद थीं और घर बहुत गर्म था. जैसे ही वह बेडरूम में बैठी, अचानक पीछे से किसी ने बाल पकड़ लिए.

देवर की दूसरी पत्नी ने उस पर हमला किया, बेवफाई का झूठा आरोप लगाकर उसे घसीटते हुए हॉल में ले गई, जहां देवर और उसकी बेटी वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे. महिला ने बताया कि आरोपी महिला ने उसे कैंची से मारने की कोशिश की, उसके बाल काटे, निर्वस्त्र किया और उसके निजी अंगों पर थप्पड़ मारे. इसके बाद देवर ने ब्लेड से उसके चेहरे पर वार किया.

जब खून बहने लगा, तो आरोपी घबरा गए और उसे एक निजी क्लिनिक ले गए, जहां उसके चेहरे पर टांके लगे. वहां भी पीड़िता को चुप रहने की धमकी दी गई और कहा गया कि डॉक्टर से बोलना कि चोट क्रिकेट के दौरान शीशे से लगी.

धमकी और अपमान

रिहा करने से पहले आरोपियों ने उसका मोबाइल फोन फॉर्मेट कर दिया और उसकी सोने की चेन व कान की बालियां भी छीन लीं. देवर ने धमकी दी कि यदि उसने किसी से कुछ कहा तो वीडियो वायरल कर देंगे.

पति का बयान

पति ने बताया कि शुरुआत में पत्नी ने इसे दुर्घटना बताया था. लेकिन 9 अप्रैल को जब रिश्तेदारों से वीडियो मिला, तो उन्होंने पत्नी से बात की और पूरी सच्चाई सामने आई. “हमारी इज़्जत तार-तार कर दी गई है,” उन्होंने कहा. “यह लोग पहले भी ऐसा कर चुके हैं – पैसे लेकर लोगों को बुलाते हैं, हमला करते हैं, वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते हैं.”

उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी गहरे डिप्रेशन में है, और उनके बच्चे भी वह वीडियो देख चुके हैं. “हमें डर है कि यह वीडियो कितना फैल जाएगा. ये लोग समाज के लिए ख़तरा हैं और इन्हें सज़ा मिलनी चाहिए.”

पुलिस की कार्रवाई

डीसीपी (ज़ोन 2), एमबीएमसी, पूर्णिमा चोगले श्रिंगी ने बताया कि मामला जीरो एफआईआर के रूप में चारकोप से वलिव पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित किया गया है. पुलिस टीम आरोपियों के घर पहुंची लेकिन वे फरार हैं. “मैंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं – इन लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.”

5 अप्रैल
हमले की तारीख

क्या होता है Medico-Legal Case (MLC)?

एमएलसी (मेडिको-लीगल केस) ऐसा मामला होता है जिसमें चिकित्सा की स्थिति कानूनी जांच की मांग करती है. यदि डॉक्टर को मरीज की चोट या बीमारी को देखकर शक होता है कि मामला आपराधिक हो सकता है, तो उसे पुलिस को रिपोर्ट करना आवश्यक होता है.

डॉ. नितिन पवार (ऑस्कर अस्पताल, मुंबई) बताते हैं कि अगर डॉक्टर को ज़रा भी शक हो तो उसे एमएलसी रिपोर्ट भेजनी चाहिए. वलिव पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर गोरखनाथ जाइड ने बताया, “हालांकि, यदि पीड़ित स्वयं कहे कि चोट दुर्घटनावश हुई है और किसी पर आरोप नहीं लगाता, तो डॉक्टर आमतौर पर एमएलसी दर्ज नहीं करते. इस केस में भी ऐसा ही हुआ होगा.”

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