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मुंबई: महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोत्तरी, एनसीआरबी डेटा में सामने आया ये डरवना सच

Updated on: 05 December, 2023 12:56 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

सोमवार को जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि शहर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में महिलाओं पर हमले के 819 मामले दर्ज किए गए, जो लखनऊ, पुणे और सूरत जैसे शहरों के आंकड़ों को पार कर गए.

पुणे, लखनऊ, सूरत जैसे शहरों में बढ़ रहे हैं महिलाओं के खिलाफ अपराध.

पुणे, लखनऊ, सूरत जैसे शहरों में बढ़ रहे हैं महिलाओं के खिलाफ अपराध.

सोमवार को जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि शहर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में महिलाओं पर हमले के 819 मामले दर्ज किए गए, जो लखनऊ, पुणे और सूरत जैसे शहरों के आंकड़ों को पार कर गए.

महिला अधिकार कार्यकर्ता महिलाओं के खिलाफ अपराधों को उजागर करते हैं. बेबाक फाउंडेशन की हसीना खान ने कहा, "हमने ऐसे अपराधों में बढोत्तरी देखी है, यह सामान्य हो गया है. कानून मौजूद हैं, लेकिन उनका लागू होना, एक बड़ी चुनौती है. पुलिस में लैंगिक संवेदनशीलता की कमी है और अक्सर शिकायतें दर्ज करने में देरी होती है."


चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि यौन उत्पीड़न (आईपीसी धारा 354ए) के 335 मामले सामने आए हैं, जिससे शहर दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा, 576 मामले ऐसे आए जिसमें महिलाओं का पीछा किया जाता है.


कार्यकर्ता पुलिस की अनभिज्ञता को एक बाधा के रूप में उजागर करते हैं. महिला मंडल फेडरेशन मुंबई से मुमताज शेख ने कहा, "पुलिस को इन अपराधों को रोकने के लिए सक्रिय उपायों की जरूरत है, न कि केवल प्रतिक्रिया की. हमारा संगठन मुंबई पुलिस के साथ मिलकर महिलाओं के खिलाफ 15 दिवसीय हिंसा विरोधी दिवस मना रहा है, लेकिन ये सभी गतिविधियां लगातार की जानी चाहिए और पुलिस को अपराधों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."

पूर्व आईपीएस अधिकारी सुधाकर सुरदकर ने गैर-पुलिसिंग कार्यों में बल की भागीदारी के कारण पुलिस के मनोबल में गिरावट पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "अपने गैर-पुलिसिंग कार्यों के कारण उन्हें कानूनों के बारे में कम जानकारी है और उनमें लैंगिक संवेदनशीलता नहीं है."


महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी एस परिचा ने रिपोर्टों में वृद्धि का श्रेय महिलाओं में अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता को दिया. उन्होंने कहा, "महिलाएं अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए अधिक जागरूक और आश्वस्त हैं. पुलिस अब सक्रिय है."

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