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Mumbai: क्रॉस मैदान बना `डैंजर जोन`, हुआ नागरिक सुरक्षा अभ्यास

Updated on: 08 May, 2025 04:17 PM IST | Mumbai
Ritika Gondhalekar | ritika.gondhalekar@mid-day.com

यह सुनियोजित अभ्यास राष्ट्रव्यापी अभ्यास के हिस्से के रूप में किया गया था, जिसमें टीमों को जुटाया गया था.

बारिश के बावजूद, सिविल डिफेंस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के कर्मियों ने कल शहर के विभिन्न स्थानों पर आपातकालीन सिमुलेशन अभ्यास में भाग लिया. तस्वीरें/शादाब खान

बारिश के बावजूद, सिविल डिफेंस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के कर्मियों ने कल शहर के विभिन्न स्थानों पर आपातकालीन सिमुलेशन अभ्यास में भाग लिया. तस्वीरें/शादाब खान

बुधवार शाम को बॉम्बे अस्पताल के पास क्रॉस मैदान में जैसे ही डमी बमों को ‘विस्फोटित’ किया गया, हवा में सायरन बजने लगे. यह सुनियोजित अभ्यास राष्ट्रव्यापी अभ्यास, ऑपरेशन अभ्यास के हिस्से के रूप में किया गया था, जिसमें जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर आतंकवादी बमबारी परिदृश्य के लिए समन्वित प्रतिक्रिया का अनुकरण करने के लिए कई आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को जुटाया गया था. 

इस अभ्यास का उद्देश्य अधिकारियों को घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र में स्थानीय आपातकालीन सेवाओं की तैयारियों का आकलन करने में मदद करना था.हालांकि अभ्यास के दौरान अचानक बारिश शुरू हो गई, जो शाम 4 बजे शुरू हुई और लगभग 45 मिनट तक चली, नागरिक सुरक्षा कर्मियों ने अभ्यास को बंद करने से इनकार कर दिया, उन्होंने कहा, “यह वास्तव में आपातकाल का मतलब है.” 


नागरिक सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने कहा, “कोई भी आपातकाल की प्रकृति और साथ ही बुधवार की बेमौसम बारिश जैसी प्राकृतिक अनिश्चितताओं का अनुमान नहीं लगा सकता है.” डमी बम विस्फोटों के बाद नियंत्रित आग लगाई गई, जिसे अग्निशमन कर्मियों ने तुरंत काबू में कर लिया, जिससे प्रभावी समन्वय और त्वरित तैनाती के लाभ प्रदर्शित हुए. नागरिक सुरक्षा बल और बम निरोधक दस्ते के कर्मी भी घटनास्थल पर पहुंचे और इलाके की घेराबंदी की और द्वितीयक विस्फोटक उपकरणों की जांच की.


कुछ ही देर बाद सायरन बजाती हुई एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंची, साथ में मेडिकल टीमें भी थीं, जिन्होंने निकासी प्रोटोकॉल का पालन किया. पैरामेडिक्स ने ‘घायल’ स्वयंसेवकों को स्ट्रेचर पर लिटाया और उन्हें एम्बुलेंस तक पहुंचाया, जिससे वास्तविक समय में आघात प्रतिक्रिया और ट्राइएज प्रक्रियाओं का अनुकरण किया गया.

राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेट, जिन्हें इस अभ्यास का हिस्सा बनाया गया था, ने लड़ने वाले स्वयंसेवकों और पीड़ितों दोनों की भूमिका निभाई. उनकी भागीदारी ने भीड़ को अधिक यथार्थवादी बनाने में मदद की, जिससे दबाव में भीड़ नियंत्रण, पीड़ितों की सहायता और संचार का परीक्षण हुआ. मुंबई पुलिस, बृहन्मुंबई नगर निगम और आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ महाराष्ट्र होम गार्ड ने पूरे अभ्यास की निगरानी की.


महाराष्ट्र सिविल डिफेंस फोर्स के निदेशक प्रभात कुमार ने कहा, "इस तरह के अभ्यास काफी महत्वपूर्ण हैं, खासकर मुंबई जैसे बेहद संवेदनशील शहरों में, क्योंकि इस तरह के अभ्यासों के माध्यम से हम न केवल रक्षा कर्मियों को प्रशिक्षित कर सकते हैं, बल्कि नागरिकों के बीच जागरूकता भी फैला सकते हैं कि ऐसी स्थितियों में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए." अधिकारियों ने संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करने और रिपोर्ट करने में निरंतर सतर्कता और सामुदायिक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया है.

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