होम > मुंबई > मुंबई क्राइम न्यूज़ > आर्टिकल > ठाणे: ब्लैकमेल गैंग सलाखों के पीछे, जबरन वसूली के बड़े खेल का हुआ पर्दाफाश

ठाणे: ब्लैकमेल गैंग सलाखों के पीछे, जबरन वसूली के बड़े खेल का हुआ पर्दाफाश

Updated on: 17 March, 2025 12:07 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

पूर्व पार्षद को अश्लील तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर 50 लाख रुपये ऐंठने की कोशिश करने वाले चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

Representational Image

Representational Image

ठाणे में एक पूर्व पार्षद को ब्लैकमेल कर 50 लाख रुपये ऐंठने की कोशिश करने वाले चार शातिरों का खेल खत्म हो गया. पुलिस ने जाल बिछाकर मुख्य आरोपी समेत चारों को धर दबोचा.

मामला कुलगांव बदलापुर नगर परिषद के पूर्व पार्षद का है, जिसे एक दिन अचानक एक अश्लील तस्वीर मिली. इसके बाद धमकी भरा संदेश आया—"50 लाख दो, वरना तस्वीर वायरल कर देंगे!" घबराए पार्षद ने पुलिस से मदद मांगी, और फिर शुरू हुआ आरोपियों तक पहुंचने का ऑपरेशन.


पुलिस ने सुरागों को जोड़ते हुए 15 मार्च को बदलापुर से 32 वर्षीय मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया. उससे पूछताछ में तीन और नाम सामने आए, जिन्हें भी दबोच लिया गया. जांच में पता चला कि ये अपराधी पहले भी डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मामलों में शामिल रहे हैं.


अदालत में पलटी बाज़ी: जबरन वसूली और हत्या की साजिश में तीन आरोपी बरी

उधर, ठाणे की एक अदालत ने जबरन वसूली और हत्या की साजिश के मामले में तीन लोगों को बरी कर दिया. वजह?—अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा.


साजिश 2021-22 के बीच की थी, जब मीरा रोड के तीन आरोपियों ने एक शख्स से 25 लाख रुपये वसूलने की प्लानिंग रची. पुलिस ने ऐन वक्त पर पकड़कर दावा किया कि उनके पास पिस्तौल और कारतूस भी मिले थे. लेकिन अदालत में मामला टिक नहीं पाया.

बचाव पक्ष ने अभियोजन के दावों में खामियां उजागर कीं. फोरेंसिक रिपोर्ट ठोस सबूत नहीं दे पाई, वीडियो फुटेज धुंधला था, और न ही कोई प्रत्यक्ष प्रमाण था कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता से फिरौती मांगी थी. अदालत ने कहा कि जब्त दस्तावेज़ों, सिम कार्ड और डिजिटल सबूतों को आरोपियों से जोड़ना मुश्किल था.

नतीजा? अपराध साबित न हो सका, और तीनों आरोपी मोहम्मद अराफात उर्फ गुड्डू, जावेद मंसूरी और शाकिर मंसूरी बरी हो गए.

पुलिस की जीत भी, कमजोरी भी!

एक तरफ जहां पुलिस ने ब्लैकमेल गैंग को धर दबोचकर जीत हासिल की, वहीं दूसरी तरफ अदालत में जबरन वसूली और हत्या की साजिश का मामला साबित न कर पाना एक बड़ी चूक दिखाता है. सवाल ये है—क्या अपराधी सबूतों की कमी का फायदा उठाकर बच निकलेंगे, या पुलिस अगली बार मजबूत केस बनाएगी?

अन्य आर्टिकल

फोटो गेलरी

रिलेटेड वीडियो

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK