Updated on: 25 September, 2024 02:46 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
24 वर्षीय युवक की मौत की वजह बनी परिस्थितियों के बारे में पुलिस से सवाल करते हुए अदालत ने कहा कि मामले में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है.
अक्षय शिंदे को एस्कॉर्ट करती पुलिस - फाइल फोटो
बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे की एक पुलिसकर्मी पर कथित तौर पर गोली चलाने के बाद पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई. घटना के दो दिन बाद बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को फटकार लगाई. 24 वर्षीय युवक की मौत की वजह बनी परिस्थितियों के बारे में पुलिस से सवाल करते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मामले में कुछ गड़बड़ है और निर्देश दिया कि मामले में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है.
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अदालत ने पुलिस को आरोपी अक्षय शिंदे को जेल से बाहर लाए जाने से लेकर शिवाजी अस्पताल में मृत घोषित किए जाने तक के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का भी निर्देश दिया, राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्य लोक अभियोजक ने कहा कि आरोपी शिंदे तलोजा जेल से बदलापुर ले जाया जा रहा था, तभी उसने सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे की पिस्तौल छीन ली और पुलिस टीम पर गोलियां चला दीं, जिससे तीन अधिकारी घायल हो गए. पुलिस ने तब अदालत को सूचित किया कि शिंदे की मौत तब हुई जब पुलिस ने अपने बचाव में गोली चलाई.
मुंबई पुलिस का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा, ``इस पर विश्वास करना मुश्किल है. पहली नजर में इसमें कुछ गड़बड़ लग रही है. एक आम आदमी साधारण रिवॉल्वर की तरह पिस्तौल नहीं संभाल सकता. एक कमजोर आदमी पिस्तौल भी नहीं भर सकता क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक बल की आवश्यकता होती है". फिर भी कोर्ट ने आपत्ति जताई.
बॉम्बे हाई कोर्ट आरोपी के पिता अन्ना शिंदे की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. मृतक के पिता ने पुलिस हिरासत में अपने बेटे की मौत की जांच की मांग की है. शिंदे के पिता ने दावा किया कि उनके बेटे की हत्या के पीछे एक बड़ी साजिश थी और आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए इसकी योजना बनाई गई थी. अदालत ने यह भी कहा कि जब अक्षय शिंदे ने पहली बार ट्रिगर दबाया, तो चार पुलिसकर्मी आसानी से उसे काबू कर सकते थे क्योंकि वह शारीरिक रूप से मजबूत आदमी नहीं था. उनकी मौत का कारण स्वीकार करना मुश्किल है और इसे मुठभेड़ नहीं कहा जा सकता.
बदलापुर एनकाउंटर को लेकर राजनीति भी गरमा गई है, अजित पवार, आदित्य ठाकरे, संजय राउत जैसे नेता अपनी बात रख चुके हैं, कहीं एनकाउंटर का परोक्ष समर्थन हो रहा है तो कहीं आरोप लग रहा है कि प्रशासकों को बचाने का खेल खेला जा रहा है स्कूलों का. मृतक के परिवार ने अपने बेटे को कायर बताया और उनका मानना है कि यह फैसला चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है.
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