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मध्य रेलवे की नई पहल: कबाड़ नहीं, अब अस्पतालों में दौड़ेंगी पुरानी इलेक्ट्रिक बग्गियां

Updated on: 04 January, 2025 09:23 AM IST | mumbai
Rajendra B. Aklekar | rajendra.aklekar@mid-day.com

मध्य रेलवे ने पुरानी इलेक्ट्रिक मोटर बग्गियों को स्क्रैप करने के बजाय उन्हें अपग्रेड कर रेलवे अस्पतालों में उपयोग करने का निर्णय लिया है.

एक बग्गी की कीमत करीब 4.5 लाख रुपये है. Pic/Rajendra Aklekar

एक बग्गी की कीमत करीब 4.5 लाख रुपये है. Pic/Rajendra Aklekar

मध्य रेलवे (सीआर) के मुंबई डिवीजन ने एक नई पहल के तहत पुरानी और बेकार हो चुकी इलेक्ट्रिक मोटर बग्गियों को स्क्रैप करने के बजाय उन्हें फिर से तैयार और अपग्रेड करने की योजना बनाई है. ये बैटरी से चलने वाली गाड़ियां (बीओसी) वर्तमान में स्टेशनों पर वरिष्ठ नागरिकों, शारीरिक रूप से विकलांग लोगों और छोटे सामान के साथ यात्रियों को प्लेटफॉर्म तक पहुंचाने में सहायक हैं. अब इन बग्गियों को रेलवे अस्पतालों में उपयोग के लिए तैयार किया जाएगा.

बग्गियों का उपयोग और पुनर्नवीनीकरण


ये इलेक्ट्रिक मोटर बग्गियां छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, दादर और कुर्ला एलटीटी टर्मिनस जैसे प्रमुख स्टेशनों पर चलाई जाती हैं. इनकी कीमत लगभग 4.5 लाख रुपये होती है और एक समय में चार लोगों को छोटे सामान के साथ ले जाने में सक्षम हैं. आमतौर पर, इनका उपयोग पांच साल तक किया जाता है, जिसके बाद इन्हें स्क्रैप कर दिया जाता था. लेकिन इस बार, रेलवे ने उन्हें स्क्रैप करने के बजाय अपग्रेड करने का निर्णय लिया है.


मध्य रेलवे के पास बायकुला और कल्याण में पूर्ण विकसित अस्पताल हैं. रेलवे ने इन बग्गियों को नवीनीकरण के बाद अस्पतालों में उपयोग करने का निर्णय लिया है. नवीनीकरण के बाद इनकी उम्र और उपयोगिता बढ़ा दी गई है.

डीआरएम का बयान


डीआरएम, सीआर मुंबई डिवीजन के रजनीश गोयल ने कहा, "इन बैटरी चालित वाहनों की उम्र बढ़ाई जा रही है ताकि इन्हें मरीजों, वरिष्ठ नागरिकों और अस्वस्थ लोगों के परिवहन के लिए उपयोग किया जा सके. अस्पताल परिसरों में इन गाड़ियों का सकारात्मक उपयोग किया जाएगा."

अस्पतालों में लाभ

रेलवे अस्पतालों का परिसर बड़ा होता है, और ऐसे में इन बग्गियों का उपयोग मरीजों और अन्य जरूरतमंदों को ले जाने के लिए किया जाएगा. यह कदम अस्पताल के भीतर परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने और संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है.

यह पहल न केवल बग्गियों के जीवनचक्र को बढ़ाएगी, बल्कि रेलवे की पर्यावरण-अनुकूल और लागत-कुशल दृष्टिकोण को भी दर्शाएगी. रेलवे वर्कशॉप में इन बग्गियों का पुनर्निर्माण इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है.

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