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मुंबई में `गजवा-ए-हिंद की साजिश`, हलाल टाउनशिप परियोजना पर विवाद

Updated on: 05 September, 2025 08:15 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

मुंबई से लगभग 100 किलोमीटर दूर कर्जत के पास नेरल में प्रस्तावित `हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप` परियोजना को लेकर एक बड़ा विवाद है.

प्रतीकात्मक छवि

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`हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप` परियोजना ने सामाजिक स्तर पर भी तीखी बहस छेड़ दी है. कुछ लोगों का मानना है कि यह टाउनशिप धार्मिक आधार पर सांप्रदायिक भेदभाव को बढ़ावा देती है, जो संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है. मुंबई से लगभग 100 किलोमीटर दूर कर्जत के पास नेरल में प्रस्तावित `हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप` परियोजना को लेकर एक बड़ा विवाद छिड़ गया है. इस रियल एस्टेट परियोजना का प्रचार वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, राजनीतिक और सामाजिक समूहों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मामले को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

वायरल प्रचार वीडियो में हिजाब पहने एक महिला दिखाई दे रही है, जो टाउनशिप में `समान विचारधारा वाले परिवारों` के लिए `ईमानदार सामुदायिक जीवन` और `हलाल वातावरण` में बच्चों के सुरक्षित पालन-पोषण का वादा करती है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रार्थना और सामुदायिक समारोहों के लिए सुविधाओं का भी उल्लेख है, जो पैदल दूरी पर उपलब्ध होंगी. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर इस प्रचार को साझा करते हुए इसे `राष्ट्र के भीतर राष्ट्र` घोषित किया और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करने की मांग की.


शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने इस प्रचार वीडियो पर आपत्ति जताई और इसे वापस लेने तथा परियोजना की जाँच की माँग की. इस बीच, भाजपा प्रवक्ता अजीत चव्हाण ने इसे `गजवा-ए-हिंद` की साज़िश करार देते हुए कहा कि इस तरह की परियोजना मुंबई या महाराष्ट्र में स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने इसे संविधान के लिए एक बड़ी चुनौती बताया और डेवलपर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की.


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस परियोजना को एक गंभीर मानवाधिकार मुद्दा बताते हुए इसे संविधान के समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है. एनएचआरसी ने महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को एक नोटिस भेजकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि महाराष्ट्र रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (महारेरा) ने किन प्रावधानों के तहत इस परियोजना को लाइसेंस दिया है. आयोग ने दो सप्ताह के भीतर जाँच और कार्रवाई रिपोर्ट माँगी है.

प्रियांक कानूनगो ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "यह कोई विज्ञापन नहीं, बल्कि ज़हर फैलाने का एक तरीका है. यह टाउनशिप सिर्फ़ एक धर्म विशेष के लिए बनाई जा रही है, जो भारत की संप्रभुता और एकता के लिए ख़तरा है." इस परियोजना ने सामाजिक स्तर पर भी तीखी बहस छेड़ दी है. कुछ लोगों का कहना है कि यह टाउनशिप धार्मिक आधार पर समुदायों के अलगाव को बढ़ावा देती है, जो संवैधानिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है. वहीं, कुछ अन्य लोगों का तर्क है कि मुस्लिम समुदाय को अक्सर आवासीय सोसाइटियों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिसके जवाब में ऐसी परियोजनाएँ आ रही हैं.


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