Updated on: 10 August, 2025 12:36 PM IST | Mumbai
Madhulika Ram Kavattur
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में 15 दिनों का प्रशिक्षण लेने वाली मेस्त्री ने कहा कि मेरी एक चालक से बात हुई, जिसने मुझे बताया कि अच्छी कमाई कर लेता है.
डॉ अनिल मुरारका सारिका मेस्त्री के ऑटो में सवारी करते हैं. तस्वीर/अतुल कांबले
अपने पति के कैंसर का पता चलने के बाद, 34 वर्षीय सारिका संतोष मेस्त्री ने फैसला किया कि अब घर चलाने के साथ-साथ अपने पति और दो बेटियों की देखभाल भी उन्हीं की ज़िम्मेदारी है. क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में 15 दिनों का प्रशिक्षण लेने वाली मेस्त्री ने कहा कि मेरी एक ऑटोरिक्शा चालक से बात हुई, जिसने मुझे बताया कि वह अच्छी कमाई कर लेता है.
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वह अपना ऑटोरिक्शा कैसे खरीदेगी, यह एक अलग मामला था. पता चला कि यह एक संयोगवश हुई मुलाक़ात ही थी जिसने मेस्त्री को रक्षाबंधन के तोहफ़े के रूप में अपना रिक्शा दिलाया. मेस्त्री रायगढ़ के रोहा में तीन बहनों और एक भाई के साथ पली-बढ़ीं. आठवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ने वाली मेस्त्री की शादी 2008 में संतोष अप्पा मेस्त्री से हुई. शादी के बाद, वे मुंबई आ गए, जहाँ उन्होंने घरेलू कामगार के रूप में काम करना शुरू किया और लगभग 10,000 से 12,000 रुपये कमाए. उनके पति खुद 11,000 रुपये कमाते थे. मेस्त्री ने कहा, "हमारे बच्चे अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते थे और हमारा घर आसानी से चल रहा था, लेकिन मेरे पति का निदान मेरे लिए एक सदमा था. डॉक्टर ने कहा कि वह कम से कम छह महीने तक काम नहीं कर पाएँगे. तभी मुझे और पैसे कमाने का तरीका सोचना पड़ा".
चार महीने पहले, उन्होंने एक किराए का ऑटो चलाना शुरू किया, जिसे उन्होंने 9000 रुपये प्रतिदिन के किराए पर लिया था, साथ ही 3500 रुपये ईंधन के लिए भी. दोपहर 1 बजे से शाम 7 बजे तक, वह अंधेरी में यात्रियों को ढोती हैं, और फिर शाम 7 बजे से 9 बजे तक अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के लिए बीएमसी के नाइट स्कूल जाती हैं. उन्होंने कहा, "मैं हमेशा से और पढ़ना चाहती थी और अब मेरे पास इसका मौका है; मैं इस साल दसवीं कक्षा पूरी कर लूँगी, और मेरा लक्ष्य उच्च शिक्षा के साथ-साथ अंग्रेज़ी सीखना है."
एक परिचित, नंदिनी विश्वनाथन ने उनका परिचय डॉ. अनील काशी मुरारका से कराया, जिन्होंने उन्हें एक नया ऑटो रिक्शा दिया. डॉ. मुरारका मेस्त्री की इच्छाशक्ति से प्रेरित हुए. उन्होंने कहा, "जब मैंने उनसे पूछा कि वह अपनी ऑटो क्यों नहीं खरीद रही हैं, तो उन्होंने कहा कि वह इसके लिए पैसे बचा रही हैं और इसमें उन्हें दो-तीन साल लगेंगे." डॉ. मुरारका और उनकी टीम ने रक्षाबंधन पर मेस्त्री को राखी के तोहफे में एक ऑटो खरीदने का फैसला किया और लोखंडवाला के जॉगर्स पार्क में उनके पड़ोस में उन्हें यह ऑटो सौंपकर उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया. मेस्त्री इस नेक काम को देखकर अवाक रह गईं. अब वह लगभग 35,000 रुपये प्रति माह कमाती हैं और अपने पति के इलाज और बेटियों की पढ़ाई पर खर्च करती हैं. उन्होंने कहा, "मैं डॉ. मुरारका के तोहफे के लिए बहुत आभारी हूँ. मेरे लिए सबसे ज़रूरी यह है कि मेरा परिवार सुरक्षित रहे और अच्छी तरह से खाए-पिए."
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