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Bhakti The Art of Krishna: कृष्ण के अस्तित्व के एहसास का आध्यात्मिक और कलात्मक अनुभव

Updated on: 26 July, 2024 04:21 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

Bhakti `The Art of Krishna`: भक्ति: ‘द आर्ट ऑफ कृष्णा’ एक प्रदर्शनी है जिसमें कला और भक्ति का ऐसा मिश्रण है कि आपको ऐसा लगेगा जैसे आप एक अलग दुनिया का हिस्सा हैं. नीता मुकेश अंबानी सांस्कृतिक केंद्र (एनएमएसीसी) भगवान कृष्ण के जीवन और विरासत के माध्यम से प्रेम और भक्ति की कलात्मक खोज का सम्मान करते हुए एक प्रदर्शनी प्रस्तुत कर रहा है.

राजा रवि वर्मा का यह चित्र 25 वर्षों के बाद वडोदरा में पैलेस संग्रहालय के बाहर प्रदर्शित किया गया है - कृष्ण का जन्म - रॉयल गायकवाड़ संग्रह के सौजन्य से (फतेह सिंह गायकवाड़ संग्रहालय - वडोदरा)

राजा रवि वर्मा का यह चित्र 25 वर्षों के बाद वडोदरा में पैलेस संग्रहालय के बाहर प्रदर्शित किया गया है - कृष्ण का जन्म - रॉयल गायकवाड़ संग्रह के सौजन्य से (फतेह सिंह गायकवाड़ संग्रहालय - वडोदरा)

की हाइलाइट्स

  1. इस प्रदर्शनी में 1000 साल की अवधि में बनाई गई कृष्ण कृतियां देखने को मिलेंगी
  2. प्रदर्शनी का अनुभव ऐसा है जो आपको भक्ति में डुबो देगा
  3. प्रदर्शनी 18 जुलाई से 18 अगस्त तक देखी जा सकेगी

Bhakti `The Art of Krishna`: भक्ति: ‘द आर्ट ऑफ कृष्णा’ एक प्रदर्शनी है जिसमें कला और भक्ति का ऐसा मिश्रण है कि आपको ऐसा लगेगा जैसे आप एक अलग दुनिया का हिस्सा हैं. नीता मुकेश अंबानी सांस्कृतिक केंद्र (एनएमएसीसी) भगवान कृष्ण के जीवन और विरासत के माध्यम से प्रेम और भक्ति की कलात्मक खोज का सम्मान करते हुए एक प्रदर्शनी प्रस्तुत कर रहा है.

भक्ति: कृष्ण की कला और आध्यात्मिकता का एक अनूठा मिश्रण है. यहां 107 संरचनाएं हैं, जिन्हें कोई एक साथ देखने का सपना भी नहीं देख सकता. एक ही दीवार पर राजा रवि वर्मा और एम. एफ. हुसैन की तस्वीर एक साथ एक ही दीवार पर तभी हो सकती है जब कृष्ण स्वयं वहां मौजूद हों. चार मंजिला प्रदर्शनी का संचालन अश्विन ई राजगोपालन ने किया है. इस प्रदर्शनी को आप 18 जुलाई से 18 अगस्त तक एनएमएसीसी में देख सकते हैं.



ये दोनों पेंटिंग मंजीत बावा की हैं - बायां सौजन्य - पीरामल म्यूजियम ऑफ आर्ट और दायां सौजन्य अंबानी कलेक्शन

एनएमएसीसी में चार मंजिलों में फैली यह प्रदर्शनी एक अनुभव है. यहां न केवल पेंटिंग या मूर्तियां हैं, बल्कि आपको कृष्ण के जन्म से लेकर भगवद गीता तक की यात्रा में भी शामिल होने का मौका मिलता है. यहां जाएं रवि वर्मा, एम. एफ. हुसैन, मंजीत बावा, अमित अंबालाल, रकीब शॉ और ठुकराल जैसे पंद्रह प्रमुख भारतीय कलाकारों की कृतियां प्रदर्शित हैं. बाल कृष्ण से लेकर रास लीला से लेकर कानुडा द्वारा भगवद गीता का पाठ करने तक, इस रचना की प्रस्तुति में आपको कृष्ण की झलक मिलेगी.


श्रीनाथजी का यह चित्र पीरामल म्यूजियम ऑफ आर्ट के सौजन्य से यहां प्रस्तुत किया गया है.

इस प्रदर्शनी के बारे में ईशा अंबानी ने कहा कि यह एक ऐसी प्रदर्शनी है जो आर्ट हाउस देखने आने वाले हर किसी को ऐसा महसूस कराती है जैसे मैं उनका व्यक्तिगत रूप से स्वागत कर रही हूं. भावना और भक्ति से भरी कलाकृति की ऊर्जा यहां चारों मंजिलों में फैली हुई प्रतीत होती है. यहां तत्व चिंतन भी है तो इस प्रदर्शनी में आपको आत्म-खोज का क्षण भी मिलता है. ये कला रूप संस्कृति, धर्म, साहित्य और हमारी पवित्र भूमि के तत्वों को जोड़ते हैं. प्रदर्शनी देखना कृष्ण के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना, स्वयं को खोजना और आत्मनिरीक्षण का अनुभव करना है. गीता के जो उपदेश आप पहले से जानते हैं उन्हें यहां इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि आप उन्हें एक बार फिर से पढ़ना, जीना और समझना चाहेंगे.

ठुकराल और टैगरा द्वारा वॉक ऑफ लाइफ - सौजन्य पीरामल म्यूजियम ऑफ आर्ट

पेंटिंग और ऑब्जेक्ट हाइलाइट्स में राजा रवि वर्मा की 1890 की कृति, द बर्थ ऑफ कृष्णा शामिल है, जिसे पहली बार वडोदरा पैलेस में फतेह सिंह संग्रहालय के बाहर प्रदर्शित किया जा रहा है. यहां समकालीन कलाकार मंजीत बावा द्वारा कृष्ण और राधा के बीच प्रेम को दर्शाने वाली दो आदमकद पेंटिंग हैं, जबकि कश्मीरी कलाकार रकीब शॉ की एक पेंटिंग भी अद्भुत शिल्प कौशल का प्रदर्शन करती है. चार टुकड़े पी. यहां ऑर एंड संस स्वामी पैटर्न का सिसवार चाय सेट भी देखा गया है जो मूल रूप से 19वीं सदी के भारत में बनाया गया था और पहले रोम में सोतेरियो बुल्गारी के संग्रह में था, यह चाय सेट पुरी में रथ उत्सव को दर्शाता है.

अज्ञात कलाकार द्वारा निर्मित - सौजन्य शंकरन और नटेसन कर्नाटक आर्ट हाउस

यहां आप मल्टी मीडिया में कृष्ण का अनुभव करते हैं, जिसके लिए छाया प्रकाश का एक विशेष कमरा डिजाइन किया गया है, जबकि गीता आपको टाइपोग्राफी रूम में पहुंचाती है. साथ ही अगर आप यह देखना चाहते हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों में कृष्ण को किस रूप में पूजा जाता है तो आपको यह प्रदर्शनी जरूर देखनी चाहिए.

पंढरपुरथी राजगोपालस्वामी, गुरुवायुरप्पन, उडुपी कृष्ण, हम्पी बालकृष्ण, द्वारकाधीश, श्रीनाथजी, पुरी जगन्नाथ, मथुरा नाथ और श्रीरंगम सहित नौ मंदिरों में विशेष मूर्तियां बनाई गई हैं. यहां रखी गई हैं जो दर्शाती हैं कि कृष्ण के किस रूप की पूजा की जाती है. यह प्रदर्शनी भारतीय विरासत का उत्सव है, भक्ति का उत्सव है. इस शो के टिकट एनएमएसीसी और बुक माई शो पर 299 रुपये में उपलब्ध हैं.

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