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प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश

Updated on: 16 November, 2024 01:43 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

संकट को भांपते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

नासिक जिले के पिंपलगांव में एक प्याज गोदाम. फाइल फोटो/आशीष राजे

नासिक जिले के पिंपलगांव में एक प्याज गोदाम. फाइल फोटो/आशीष राजे

लोकसभा चुनाव में उत्तर महाराष्ट्र में महायुति को प्याज की कम कीमतों और निर्यात पर प्रतिबंध से झटका लगा है, वहीं विधानसभा चुनाव से पहले प्याज की ऊंची कीमत ने सत्तारूढ़ गठबंधन की चिंता बढ़ा दी है. संकट को भांपते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और कालाबाजारी रोकथाम एवं आवश्यक वस्तु आपूर्ति रखरखाव अधिनियम, 1980 के तहत जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

सीएम की टीम की ओर से जारी रिलीज में कहा गया है कि चूंकि आम लोग प्याज की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं, इसलिए शिंदे ने जमाखोरी को गंभीरता से लिया है. इसमें कहा गया है, "खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को उन व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है, जो तय सीमा से अधिक प्याज जमा कर रहे हैं."


उपलब्ध जानकारी के अनुसार, प्याज के खुदरा विक्रेता अधिकतम दो टन ही स्टॉक कर सकते हैं, जबकि थोक व्यापारियों को 25 टन तक रखने की अनुमति है. सीएमओ ने कहा, "हालांकि, सरकार ने देखा है कि कुछ व्यापारी स्वीकार्य सीमा से अधिक प्याज जमा कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में बढ़ोतरी हुई है." उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने जिला कलेक्टर कार्यालय को प्याज की अवैध जमाखोरी के बारे में सूचित करें. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्याज किसानों को 350 रुपये प्रति क्विंटल का अनुदान दे रही है और अब तक 851 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं.


फिलहाल खुदरा बाजार में प्याज 80 रुपये से 00 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. कीमतों में बढ़ोतरी का कारण मांग-आपूर्ति का बेमेल होना बताया जा रहा है, क्योंकि नया स्टॉक बाजार में नहीं आया है. दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र देश में प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है. राज्य के उत्तरी क्षेत्र में उत्पादन और व्यापार में एक तरह का एकाधिकार है. 

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अक्टूबर की बारिश ने खरीफ की फसल को प्रभावित किया है. कटाई और सामान्य आपूर्ति के साथ कुछ हफ्तों में कीमतें स्थिर हो जाएंगी. हालांकि, जब तक कीमतें स्थिर होंगी, तब तक 20 नवंबर को मतदान खत्म हो जाएगा. लोकसभा चुनाव में व्यापारियों और किसानों ने ही विरोध प्रदर्शन कर सरकार से निर्यात प्रतिबंध हटाने को कहा था. इस बार विधानसभा चुनाव से पहले उपभोक्ताओं को राहत दी जा रही है.


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