Updated on: 16 October, 2025 10:28 AM IST | Mumbai
Amarjeet Singh
पनवेल तालुका के चिंधरान, कानपोली और महालुंगी के ग्रामीणों ने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की, जो बुधवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गई.
मंगलवार को कई महिलाएं विरोध स्वरूप कसाडी नदी में उतर गईं.
पनवेल तालुका के चिंधरान, कानपोली और महालुंगी के ग्रामीणों द्वारा महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल बुधवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गई, और आंदोलन दिन-प्रतिदिन तेज होता जा रहा है. सोमवार को पानी की टंकी पर चढ़ने के बाद, मंगलवार को कई महिलाओं ने विरोध स्वरूप कसाडी नदी में उतरकर न्याय और अधिग्रहित भूमि के लिए उचित मुआवजे की मांग की.
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ग्रामीणों और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह विरोध प्रदर्शन पिछले सप्ताह चिंधरान ग्राम पंचायत कार्यालय के बाहर शुरू हुआ था. ग्रामीणों का आरोप है कि एमआईडीसी ने बिना उचित सहमति के उनकी उपजाऊ कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण कर लिया है और उन्हें पर्याप्त मुआवजा, पुनर्वास भूखंड और अन्य वादा किए गए लाभ प्रदान करने में विफल रही है.
मुख्य मांगों में अधिग्रहित भूमि के लिए संशोधित और उचित मुआवजा दर, परियोजना प्रभावित व्यक्तियों को औद्योगिक भूखंडों का आवंटन और किसानों से जुड़े लंबित कानूनी विवादों का समय पर समाधान शामिल है. कई दौर की बातचीत के बावजूद, ग्रामीणों का दावा है कि न तो सरकार और न ही एमआईडीसी अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन दिया है.
हड़ताल में शामिल एक ग्रामीण ने कहा, "हम दस दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है. अगर हमारी मांगों को अनदेखा किया जाता रहा, तो हमारे पास अपने आंदोलन को और तेज़ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा."
सोमवार को, महिलाएं अपनी दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए गाँव की एक पानी की टंकी पर चढ़ गईं, जबकि मंगलवार को महिलाओं का एक समूह कसाडी नदी में उतर गया, जो उनकी बढ़ती हताशा और निराशा का प्रतीक है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे अपना अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे और आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को और तेज़ करेंगे.
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