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हीरानंदानी गार्डन में फ्लैट दिलाने का झांसा देकर सेवानिवृत्त अफसर ने की करोड़ों की ठगी

Updated on: 21 July, 2025 09:01 AM IST | Mumbai
Sanjeev Shivadekar | sanjeev.shivadekar@mid-day.com

मुंबई के पवई इलाके में एक बड़े आवास घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें एक सेवानिवृत्त मंत्रालय अधिकारी ने महाराष्ट्र सरकार के 28 कर्मचारियों से हीरानंदानी गार्डन में फ्लैट दिलाने के नाम पर 2.61 करोड़ रुपये की ठगी की.

Pic/Satej Shinde

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मंत्रालय स्थित गृह विभाग, पुलिस महानिदेशक कार्यालय, राशनिंग विभाग और अन्य संबद्ध सेवाओं सहित महाराष्ट्र सरकार के कम से कम 28 कर्मचारियों से एक सेवानिवृत्त नौकरशाह ने कथित तौर पर 2.61 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की. इस नौकरशाह ने उन्हें पवई के हीरानंदानी गार्डन में सरकारी फ्लैटों का मालिकाना हक दिलाने का वादा किया था.

आरोपी राजेश गोविल, जो गृह विभाग में अवर सचिव के पद पर कार्यरत थे और मई 2025 में योजना विभाग से उप सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए, ने कथित तौर पर पवई स्थित ब्लू बेल स्टाफ क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारियों को यह विश्वास दिलाया कि वह फ्लैट उनके नाम पर हस्तांतरित करवा सकते हैं.


मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मिड-डे को बताया, "जब हमें एहसास हुआ कि हमारे साथ धोखाधड़ी हो रही है, तो 28 में से 19 अधिकारी पुलिस में मामला दर्ज कराने के लिए आगे आए." गृह विभाग में अवर सचिव और ब्लू बेल निवासी उमेश चांदीवाड़े ने 19 जुलाई को पवई पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी.


गोविल पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्राथमिकी के अनुसार, कथित धोखाधड़ी 9 मई, 2019 से 24 दिसंबर, 2021 के बीच हुई. ब्लू बेल बिल्डिंग हीरानंदानी डेवलपर्स, महाराष्ट्र सरकार और एमएमआरडीए के बीच 1986 के एक त्रिपक्षीय समझौते का हिस्सा है. इस सौदे के तहत, डेवलपर को सरकारी आवास के लिए 1296 फ्लैट सौंपने के बदले ज़मीन दी गई थी.

2008 में, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, कमलाकर सातवे और राजेंद्र ठाकुर ने इस सौदे को अदालत में चुनौती दी थी. 2012 में, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को फ्लैट 135 रुपये प्रति वर्ग फुट की रियायती दर पर आवंटित किए जाने चाहिए.


इस फैसले का इस्तेमाल करते हुए, गोविल ने कथित तौर पर 28 अधिकारियों को यह विश्वास दिलाया कि वह स्वामित्व हस्तांतरण में मदद कर सकते हैं. 2018 में, उन्होंने प्रत्येक सदस्य से शुरुआती 1 लाख रुपये यह दावा करते हुए एकत्र किए कि इससे कानूनी कार्यवाही का खर्च निकलेगा. कथित तौर पर बैठकें उसी आवासीय परिसर में उनके आवास पर हुईं.

2019 तक, गोविल ने अपना तरीका बदल दिया, यह कहते हुए कि कानूनी प्रक्रिया में पाँच से छह साल लगेंगे, और इसके बजाय उन्होंने अपने "उच्च-स्तरीय संपर्कों" का उपयोग करके 5-7 महीनों के भीतर स्वामित्व में तेजी लाने के लिए प्रति व्यक्ति 10-15 लाख रुपये अतिरिक्त देने का प्रस्ताव रखा.

चांदीवाडे के पुलिस बयान में उल्लेख है कि मई और जुलाई 2021 के बीच, उन्होंने विंग बी के निवासियों से 1.5 करोड़ रुपये और विंग ए से 1.11 करोड़ रुपये सीधे गोविल द्वारा एकत्र किए गए. बैंक रिकॉर्ड बताते हैं कि चांदीवाड़े ने अपना हिस्सा चुकाने के लिए महाराष्ट्र मंत्रालय एवं संबद्ध कार्यालय सहकारी बैंक से 10 लाख रुपये का ऋण भी लिया था.

बार-बार संपर्क करने के बावजूद, कोई धन हस्तांतरण नहीं हुआ. चांदीवाड़े ने पुलिस को बताया कि उसके पास 2019 से 2024 तक की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग हैं, जिनमें गोविल सदस्यों को आश्वस्त कर रहे हैं कि प्रक्रिया जारी है और धनराशि सुरक्षित है.

13 मार्च, 2024 को, गोविल ने फिर से और समय माँगा, जिसके बाद सदस्यों को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया. पवई के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक जितेंद्र सोनवणे ने पुष्टि की कि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. उन्होंने कहा, "मामले की जाँच चल रही है." कई प्रयासों के बावजूद, चांदीवाड़े और गोविल दोनों ने मिड-डे के कॉल या संदेशों का जवाब नहीं दिया.

पीड़ितों ने गोविल के सेवानिवृत्ति लाभों पर रोक लगाने की मांग की

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पीड़ितों ने योजना विभाग से गोविल के सेवानिवृत्ति लाभों को रोकने का आग्रह किया था. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमने अधिकारियों को सूचित किया था कि हम पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का इरादा रखते हैं और अनुरोध किया था कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक उनके लाभ रोक दिए जाएं."

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