Updated on: 16 January, 2025 06:21 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी एम पठाडे ने 10 जनवरी को आरोपी चालक संजय मोरे (54) की जमानत याचिका खारिज कर दी.
फाइल फोटो
पिछले महीने कुर्ला में हुई दुर्घटना में शामिल बेस्ट बस का चालक, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी, बहुत ही लापरवाही से गाड़ी चला रहा था और यह मानना मुश्किल है कि वाहन में कोई खराबी थी, सत्र अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार करते हुए यह बात कही. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी एम पठाडे ने 10 जनवरी को आरोपी चालक संजय मोरे (54) की जमानत याचिका खारिज कर दी.
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रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने मोरे की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि दुर्घटना बस में तकनीकी/यांत्रिक खराबी के कारण हुई थी, जैसा कि मंगलवार को उपलब्ध कराए गए विस्तृत आदेश में कहा गया है. हालांकि मोरे ने दावा किया है कि कुर्ला बेस्ट बस दुर्घटना बस के खराब रखरखाव या ब्रेक फेल होने या यांत्रिक या तकनीकी खराबी के कारण हुई, लेकिन अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस दलील का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं है.
आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया सुझाव दिया गया है कि बस में कोई यांत्रिक खराबी नहीं थी. रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा, "इस मामले को देखते हुए, यह मानना मुश्किल है कि बस में कोई यांत्रिक/तकनीकी खराबी या ब्रेक फेलियर था, जिसके कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हुई." अदालत ने कहा कि इससे न केवल बस में सवार यात्रियों की जान को खतरा था, बल्कि भीड़भाड़ वाली सड़क पर चलने वाले लोगों की जान भी खतरे में थी. आदेश में कहा गया है, "प्रथम दृष्टया यह देखा गया है कि आवेदक आरोपी बहुत ही तेज और लापरवाही से बस चला रहा था, जबकि इस तथ्य के बावजूद कि सड़क का इस्तेमाल कई अन्य लोग भी कर रहे थे और बस में कई यात्री भी थे."
न्यायाधीश ने कहा, "अपराध की गंभीरता और उसके लिए निर्धारित दंड को देखते हुए, जिसके तहत आरोपी पर मामला दर्ज किया गया है, मुझे आरोपी को जमानत पर रिहा करने का मामला उचित नहीं लगता." रिपोर्ट के मुताबिक मोरे को उसी रात गिरफ्तार कर लिया गया और भारतीय न्याय संहिता और मोटर वाहन अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया. जमानत मांगते हुए मोरे ने दावा किया कि वह एक पेशेवर चालक है और दुर्घटना बस में अचानक और अप्रत्याशित यांत्रिक या तकनीकी खराबी का परिणाम थी. अभियोजन पक्ष ने आरटीओ की रिपोर्ट पर भरोसा किया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बस में कोई खराबी नहीं थी.
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