इस साल गणेशोत्सव में आयोजकों और भक्तों ने पर्यावरण अनुकूल मूर्तियों को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया है. मिट्टी, शाडू और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बनी मूर्तियों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे जल स्रोतों को दूषित होने से बचाया जा सके. गणेश भक्तों के अनुसार, इच्छापूर्ति गणेश का यह पर्व सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक बन चुका है.