गणपति बप्पा मोरया! के नारों के बीच, सार्वजनिक माघी गणेशोत्सव के सदस्यों ने गणेश प्रतिमा को पारंपरिक वेशभूषा में धूमधाम से पंडाल तक पहुंचाया. (PICS/Satej Shinde)
गणेश प्रतिमा के आगमन के साथ ही पर्यावरण सुरक्षा को लेकर भी जागरूकता देखी गई. मई 2020 में, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने POP (प्लास्टर ऑफ पेरिस) मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाने के दिशा-निर्देश जारी किए थे, क्योंकि ये जल निकायों में गंभीर प्रदूषण का कारण बनती हैं.
अगस्त 2024 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि केवल पर्यावरण के अनुकूल, गैर-POP गणेश मूर्तियों का उपयोग किया जाना चाहिए. अदालत ने चेतावनी दी कि यदि नियमों का उल्लंघन किया गया, तो पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 और अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
इस साल गणेशोत्सव में आयोजकों और भक्तों ने पर्यावरण अनुकूल मूर्तियों को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया है. मिट्टी, शाडू और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बनी मूर्तियों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे जल स्रोतों को दूषित होने से बचाया जा सके. गणेश भक्तों के अनुसार, इच्छापूर्ति गणेश का यह पर्व सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक बन चुका है.
आयोजकों ने अपील की कि विसर्जन के दौरान श्रद्धालु कृत्रिम तालाबों या पर्यावरण के अनुकूल तरीकों का उपयोग करें, ताकि परंपरा और प्रकृति के बीच संतुलन बना रहे.
गणेश जयंती उत्सव के लिए पूरे इलाके में खास तैयारियां की गई हैं. पंडालों की सजावट, भजन संध्याएं, और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. कांदिवली और आसपास के क्षेत्र में गणेश भक्तों की श्रद्धा और उल्लास देखते ही बनता है.
भक्तों का विश्वास है कि ‘कांदिवलीचा इच्छापूर्ति गणेश’ उनकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे और सभी पर कृपा बनाए रखेंगे. इस अवसर पर श्रद्धालु गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया! के जयकारों के साथ गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.
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