Pics/Ashish Raje
इसका उद्देश्य बच्चों को पर्यावरण संरक्षण, ई-कचरे के खतरों और रीसाइक्लिंग के महत्व के बारे में जागरूक करना था.
बच्चों ने प्रदर्शनी में पुराने मोबाइल फोन, टूटे हुए कंप्यूटर पार्ट्स, चार्जर, तार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान का उपयोग कर मॉडल और क्रिएटिव प्रोजेक्ट बनाए.
किसी ने सौर ऊर्जा आधारित चार्जिंग स्टेशन का मॉडल तैयार किया, तो किसी ने छोटे-छोटे घरेलू उपकरणों को सजावटी और उपयोगी वस्तुओं में बदल दिया.
कई विद्यार्थियों ने कचरे से बने शैक्षणिक प्रयोग प्रस्तुत किए, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि थोड़ी सी कल्पनाशक्ति और मेहनत से बेकार समझी जाने वाली चीज़ों को भी मूल्यवान बनाया जा सकता है.
प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण यह था कि छोटे-छोटे बच्चों ने तकनीकी समझ और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का बेहतरीन उदाहरण पेश किया.
उपस्थित शिक्षकों और अभिभावकों ने बच्चों के उत्साह की सराहना की और कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ भविष्य में बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने में मददगार साबित होंगी.
इलेक्ट्रोफाइन रीसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों ने कहा कि मुंबई जैसे महानगर में ई-कचरे का बढ़ता ढेर एक गंभीर चुनौती है.
इस तरह की प्रदर्शनी न केवल बच्चों बल्कि समाज को भी यह संदेश देती है कि अगर हम सभी अपनी भूमिका निभाएँ तो इस संकट से निपटा जा सकता है.
बीएमसी शिक्षा विभाग ने भी इसे एक प्रेरणादायक पहल बताया और कहा कि आगे भी ऐसे आयोजन किए जाएँगे ताकि बच्चों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और रचनात्मकता विकसित हो.
"ऊर्जा" प्रदर्शनी ने यह साबित कर दिया कि आने वाली पीढ़ी न केवल तकनीक में निपुण है, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करने की सोच भी रखती है.
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