गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का सबसे बड़ा सार्वजनिक उत्सव है, जिसे इस बार और भी धूमधाम से मनाया जाएगा क्योंकि राज्य सरकार ने इसे “राज्य महोत्सव” घोषित किया है. (Pic/Ashish Raje)
ऐसे में गणेश मंडलों और घरों में स्थापित होने वाली प्रतिमाओं की मांग तेजी से बढ़ी है. लालबाग की कार्यशालाओं का विशेष महत्व है क्योंकि यहाँ बनने वाली प्रतिमाएँ अपनी कलात्मकता, जीवंत भाव और भव्यता के लिए जानी जाती हैं.
घाडीगांवकर कार्यशाला के कलाकारों का कहना है कि हर साल की तरह इस साल भी वे पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार की प्रतिमाएँ बना रहे हैं.
कुछ प्रतिमाएं पर्यावरण के अनुकूल (शाडू माटी से बनी) हैं, जिन्हें पानी में आसानी से विसर्जित किया जा सकता है. वहीं, बड़ी प्रतिमाओं को बनाने में महीनों का समय और विशेष मेहनत लगती है.
कलाकारों का मानना है कि उनकी कला का असली मूल्य तभी है जब भक्तजन प्रतिमा की मूर्ति के दर्शन कर आनंद और श्रद्धा से भर जाएँ.
गणेशोत्सव के दौरान लालबाग का राजा और अन्य प्रसिद्ध मंडल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं. ऐसे में इन कार्यशालाओं में कलाकारों की व्यस्तता चरम पर रहती है.
सुबह से देर रात तक मूर्तिकार और उनके सहायक रंग, आभूषण और सजावट में जुटे रहते हैं.
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और सामूहिक एकता का प्रतीक है.
कार्यशाला में हो रही तैयारियों को देखकर साफ है कि मुंबई इस बार भी दस दिवसीय उत्सव को पूरे उत्साह, भक्ति और उमंग के साथ मनाने के लिए तैयार है.
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