लालबागचा राजा की झलक पाने के लिए सुबह से ही सैकड़ों श्रद्धालु मंडप के बाहर एकत्रित होने लगे थे. जैसे ही मूर्ति का अनावरण हुआ, पूरा वातावरण “गणपती बप्पा मोरया” के जयकारों से गूंज उठा. (Pics / Ashish Raje)
पारंपरिक लोक नृत्य और गीतों के साथ इस भव्य पल को और भी यादगार बनाया गया. ढोल-ताशों की गूंज और भक्तों की आंखों में श्रद्धा की चमक ने माहौल को पूरी तरह आध्यात्मिक बना दिया.
इस साल की मूर्ति पहले से भी अधिक भव्य और आकर्षक दिखाई दे रही है. प्रतिमा को पारंपरिक रूप और आधुनिक कला के सुंदर संगम के साथ सजाया गया है.
गणपति बप्पा का चेहरा दिव्य आभा बिखेरता हुआ दिखाई देता है, वहीं उनके आभूषण और अलंकरण को बेहद बारीकी और नक्काशीदार शिल्पकला से सजाया गया है.
रंगों का चुनाव भी खासा आकर्षक है, जिसमें सुनहरे और लाल रंग का प्रमुख इस्तेमाल किया गया है, जो शान और ऊर्जा का प्रतीक है.
मंडल की ओर से बताया गया कि इस बार सजावट में पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भी ध्यान रखा गया है.
मंडप की डेकोरेशन में इको-फ्रेंडली सामग्री और पारंपरिक कला का संयोजन किया गया है. हर साल लाखों भक्त लालबागचा राजा के दर्शन के लिए आते हैं, और इस बार भी उम्मीद है कि महाराष्ट्र समेत देश-विदेश से भक्त यहाँ पहुंचेंगे. लालबागचा राजा न सिर्फ एक धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि मुंबई की सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी है.
हर साल यहां पर भक्त अपने मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और कई लोग इसे मनता के राजा के रूप में मानते हैं. 2025 के गणेशोत्सव की इस शुरुआत ने भक्तों के दिलों में एक बार फिर अपार उत्साह और आस्था का संचार कर दिया है. प्रतिमा के पहले लुक ने यह साबित कर दिया है कि इस साल भी लालबागचा राजा अपनी भव्यता और दिव्यता से सबको मंत्रमुग्ध कर देंगे.
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