मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भिक्षु संघ की उपस्थिति ने इस वर्षावास समारोह को प्रेम और आशीर्वाद से भर दिया है.
उन्होंने कहा कि वे पिछले दो वर्षों से मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के रूप में जनता की सेवा कर रहे हैं.
वर्तमान समय में विभिन्न जगहों पर संघर्ष की स्थिति है, लेकिन इस समय दुनिया को युद्ध की नहीं, बल्कि बुद्ध के शांति और अहिंसा के संदेश की आवश्यकता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हम बुद्ध के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें तो समाज, राज्य और देश अधिक खुशहाल हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज ज्ञान का महत्व तो है, लेकिन बुद्ध का दर्शन भी उतना ही आवश्यक है.
इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक कविता का उल्लेख किया, "दौलत मिली किसको तो बन गया, ताकत मिली किसको तो बन गया, बाबा साहेब मिले मुझको तो इंसान बन गया," और डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति सम्मान व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि राज्य का प्रशासन गौतम बुद्ध और डॉ. अंबेडकर द्वारा सिखाए गए सिद्धांतों का पालन करते हुए चल रहा है.
समारोह की शुरुआत तथागत भगवान गौतम बुद्ध और महामना डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के अभिनंदन और प्रार्थना से हुई. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सांसद श्रीकांत शिंदे ने भिक्षुओं को कपड़े दान किए.
अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. भदंत उपगुप्त महाथेरो ने इस अवसर पर तथागत भगवान गौतम बुद्ध के समय के राजा प्रसेनजित का उल्लेख किया, जो इसी प्रकार भोजनदान और धम्मदान करते थे. उन्होंने कहा कि आज उन्हें याद करते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
महाथेरो ने कहा कि यह इतिहास में दर्ज किया जाएगा कि पहली बार महाराष्ट्र के इतिहास में मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर ऐसा भव्य भोजनदान कार्यक्रम आयोजित किया गया.
इस आयोजन ने राज्य में सामाजिक और धार्मिक समरसता का एक नया संदेश दिया है. मुख्यमंत्री ने भी इस आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है और ऐसे आयोजन समाज में शांति, प्रेम और भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं.
समारोह का समापन सभी उपस्थित भिक्षु संघों और गणमान्य व्यक्तियों के आशीर्वाद और शुभकामनाओं के साथ हुआ.
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