पोप फ्रांसिस के निधन के बाद मुंबई में ईसाई समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है. (PIC BY SAYYED SAMEER ABEDI)
दुनिया भर के ईसाई समुदाय के साथ-साथ भारत में भी उनके योगदान और धार्मिक नेतृत्व को लेकर गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं.
पोप फ्रांसिस, जो 2013 में वेटिकन के 266वें पोप बने थे, ने अपने कार्यकाल में दुनिया भर में शांति, मानवाधिकार और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया. उनकी प्रमुख विशेषताओं में उनकी सादगी, गरीबों के प्रति सहानुभूति और सामाजिक न्याय के लिए उनकी निरंतर आवाज उठाना शामिल था.
वे हमेशा एक समावेशी समाज की ओर इशारा करते रहे, जिसमें हर धर्म, जाति और समुदाय का सम्मान किया जाए.
मुंबई के कई चर्चों में प्रार्थनाओं का आयोजन किया गया, जहां लोगों ने पोप के लिए प्रार्थनाएं कीं और उनके योगदान को याद किया.
ईसाई समुदाय के सदस्य मानते हैं कि पोप फ्रांसिस ने केवल ईसाई धर्म को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को शांति और प्रेम का संदेश दिया. चर्चों में श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ उनके योगदान को लेकर विशेष धार्मिक सेवाएं भी आयोजित की गईं.
इसके अलावा, मुंबई में विभिन्न संगठनों ने भी पोप के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके धार्मिक नेतृत्व को सराहा.
ईसाई समुदाय के सदस्य मानते हैं कि उनका निधन न केवल ईसाई धर्म के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनके कार्यों और विचारों का प्रभाव लंबे समय तक रहेगा.
पोप फ्रांसिस का निधन निश्चित ही एक ऐतिहासिक क्षण है, जिसे आने वाली पीढ़ियां कभी नहीं भूलेंगी.
उनकी नीतियों और दृष्टिकोण ने दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए प्रेरित किया, और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा.
मुंबई में उनके निधन पर शोक की लहर है, लेकिन साथ ही लोग उनके द्वारा दिखाए गए मार्गदर्शन और उनके द्वारा किए गए कार्यों को श्रद्धांजलि देते हुए आगे बढ़ने का संकल्प ले रहे हैं.
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