बुधवार को स्थानीय लोगों ने देखा कि कारीगर फाउंटेन की सफाई और रंगाई में जुटे हुए हैं. (PIC/ASHISH RAJE)
लोहे की सतह को विशेष ब्रश और रसायनों से साफ किया जा रहा है, उसके बाद उस पर ताजगी भरा नया रंग चढ़ाया जा रहा है.
यह कार्य इस ऐतिहासिक स्मारक की सुंदरता को बचाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है.
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अनुसार, इस फाउंटेन का तीन साल का रखरखाव अनुबंध मार्च 2024 में समाप्त हो चुका है, और इसके बाद से इसका नियमित निरीक्षण या नवीनीकरण नहीं हुआ.
बारिश के लगातार संपर्क में आने के कारण इसकी सतह खराब हो गई और संरचना पर जंग ने असर दिखाना शुरू कर दिया.
1867 में स्थापित यह 16 टन वज़नी गढ़े लोहे का स्मारक उस समय के बंबई के गवर्नर सर सीमोर फिट्ज़गेराल्ड के सम्मान में बनवाया गया था.
यह मुंबई की औपनिवेशिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और वर्षों से स्थानीय संस्कृति, स्थापत्य और इतिहास की पहचान बना हुआ है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की विरासत संरचनाओं को केवल पुनर्स्थापना से नहीं, बल्कि नियमित देखरेख और संरक्षण योजना से ही जीवित रखा जा सकता है.
स्थानीय नागरिकों और इतिहास प्रेमियों ने बीएमसी से मांग की है कि ऐसे स्थलों के लिए स्थायी मेंटेनेंस मॉडल बनाया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस गौरव को देख सकें.
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