Updated on: 08 August, 2025 03:39 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
सीमा सड़क संगठन के अधिकारी अमित कुमार ने कहा कि इस अभियान में हमारी चार मशीनें काम कर रही हैं. हमारे प्रमुख ने भी यहाँ का दौरा किया. कम से कम 20-40 घर अभी भी दबे हैं.
राज्य में मानसून से संबंधित व्यवधान जारी है, विशेष रूप से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में.
उत्तराखंड में विनाशकारी बादल फटने और भारी बारिश के दो दिन बाद, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने गुरुवार को बताया कि गंगोत्री में फंसे 21 और नागरिकों को नेलोंग से उत्तरकाशी जिले के हरसिल में हवाई मार्ग से पहुँचाया गया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारी अमित कुमार ने कहा कि इस अभियान में हमारी चार मशीनें काम कर रही हैं. सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक और हमारे प्रमुख ने भी यहाँ का दौरा किया. कम से कम 20-40 घर अभी भी मलबे में दबे हुए हैं और पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं... अब तक बीआरओ, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा 150-175 लोगों को बचाया गया है. अब तक कुल पाँच शव बरामद किए गए हैं. इससे पहले गुरुवार को, उत्तराखंड सरकार ने सूचित किया था कि गंगोत्री और आसपास के इलाकों में फंसे 274 लोगों को हरसिल सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है. इस समूह में गुजरात से 131, महाराष्ट्र से 123, मध्य प्रदेश से 21, उत्तर प्रदेश से 12, राजस्थान से छह, दिल्ली से सात, असम से पाँच, कर्नाटक से पाँच, तेलंगाना से तीन और पंजाब से एक व्यक्ति शामिल है.सभी सुरक्षित हैं और उन्हें उत्तरकाशी या देहरादून ले जाया जा रहा है.
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रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में, विशेष रूप से ऊँचाई वाले क्षेत्रों में, मानसून से संबंधित गंभीर व्यवधान जारी हैं. इन चुनौतियों के कारण कई बचाव दल और एजेंसियों द्वारा व्यापक निकासी और राहत अभियान शुरू किए गए हैं. मंगलवार को, दो अलग-अलग बादल फटने की घटनाओं, एक धराली में और दूसरी धराली के पास सुखी टॉप क्षेत्र में, ने भारी तबाही मचाई, जिसमें धराली को सबसे अधिक नुकसान हुआ.
भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना (IAF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), SDRF, BRO और स्थानीय स्वयंसेवकों की भागीदारी में एक व्यापक बचाव और राहत अभियान चल रहा है. रिपोर्ट के अनुसार ये दल उन लोगों का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं जो अभी भी लापता हैं.
प्रशासन के अनुसार, आपदा के बाद 50 से ज़्यादा लोग अभी भी लापता हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को उत्तरकाशी स्थित अपने कैंप कार्यालय में एनडीआरएफ और आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की. रिपोर्ट के मुताबिक बैठक में गंभीर रूप से प्रभावित धराली क्षेत्र में बचाव कार्यों की प्रगति का आकलन किया गया. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के डीआईजी गंभीर सिंह चौहान ने बताया कि फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं. भारतीय सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन सहित कई एजेंसियां ज़मीन और आसमान दोनों पर बचाव कार्यों के प्रबंधन के लिए समन्वय से काम कर रही हैं.
चौहान ने आगे बताया, "हमारे पास चार टीमें हैं, लेकिन सभी सड़कें अवरुद्ध और क्षतिग्रस्त होने के कारण वे धराली नहीं पहुँच सके. कल 35 कर्मचारी हेलीकॉप्टरों के ज़रिए पहुँच पाए. हेलीकॉप्टर सेवाएँ शुरू होने के साथ ही कर्मचारियों और निकाले गए लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है. संचार संबंधी समस्या भी थी, लेकिन आज सुबह से हमारे सैटेलाइट फ़ोन काम कर रहे हैं. राज्य प्रशासन, सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और यहाँ तक कि स्थानीय लोग भी खोज और बचाव कार्यों में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं." बुधवार को धराली में हुए विनाशकारी बादल फटने के बाद आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन के बाद लगभग 190 लोगों को सफलतापूर्वक बचाया गया. चल रहा बचाव और राहत अभियान भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ और स्थानीय स्वयंसेवकों द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा है. प्रभावित क्षेत्रों में प्रयास सक्रिय हैं और लगातार प्रगति कर रहे हैं.
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