Updated on: 21 May, 2025 06:50 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
इस जहाज का निर्माण सदियों पुरानी तकनीक का उपयोग करके किया गया है. इसका दूसरा चरण नौसेना में शामिल होने के बाद होगा.
प्रतीकात्मक तस्वीर (सौजन्य: सोशल मीडिया)
भारतीय नौसेना को आज एक ऐसा जहाज मिलने जा रहा है जो दुनिया की किसी भी नौसेना के पास नहीं है. इसके जरिए दुनिया ये भी देखेगी कि प्राचीन काल से भारत में जहाज कैसे बनते थे और हमारी नौसैन्य ताकत कितनी मजबूत थी. इस जहाज का निर्माण सदियों पुरानी तकनीक का उपयोग करके किया गया है. इसका दूसरा चरण नौसेना में शामिल होने के बाद शुरू होगा.
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यह जहाज समुद्री यात्रा पर जायेगा. यह जहाज सदियों पुराने समुद्री व्यापार मार्गों से होते हुए भारत से दूसरे देश तक जाएगा. इस परियोजना के लिए भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय और गोवा स्थित एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) होदी इनोवेशन ने मिलकर काम किया है. आज कारवार नौसेना स्टेशन पर आयोजित एक समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जहाज के नाम की घोषणा करेंगे और इसे नौसेना में शामिल करेंगे. यह जहाज 5वीं शताब्दी ई. के एक प्राचीन जहाज का पुनर्निर्माण है और यह अजंता गुफाओं की चित्रकला से प्रेरित है. जहाज का निर्माण 12 सितंबर, 2023 को शुरू किया गया था.
इसका निर्माण केरल के कारीगरों द्वारा पारंपरिक तरीकों और प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करके किया गया था. टीम का नेतृत्व प्रसिद्ध जहाज निर्माता बाबू शंकरन ने किया, जिन्होंने जहाज में हजारों जोड़ अपने हाथों से सिलें थे. जहाज के डिजाइन, तकनीकी निरीक्षण और निर्माण सहित संपूर्ण परियोजना की देखरेख भारतीय नौसेना द्वारा की गई. इस प्रकार के जहाज का कोई प्राचीन डिजाइन या संरचना नहीं बची है, इसलिए इसकी पूरी रूपरेखा अजंता चित्रकला से तैयार की गई थी.
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन विवेक मधवाल ने बताया कि यह जहाज आज के आधुनिक जहाजों से बिल्कुल अलग है. इसमें चौकोर पाल और लकड़ी का ढांचा है तथा इसे हाथ से संचालित पतवारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. नौसेना ने जहाज के डिजाइन की जांच के लिए आईआईटी मद्रास के समुद्री इंजीनियरिंग विभाग की मदद ली और इसकी मजबूती का परीक्षण भी खुद किया. नौसेना में शामिल होने के बाद नौसेना इस जहाज को पुराने समुद्री व्यापार मार्गों पर संचालित करेगी. इसकी पहली समुद्री यात्रा गुजरात और ओमान के बीच होगी, जिसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. यह जहाज 5वीं शताब्दी ई. के एक प्राचीन जहाज का पुनर्निर्माण है और यह अजंता गुफाओं की चित्रकला से प्रेरित है. इस जहाज का निर्माण सदियों पुरानी तकनीक का उपयोग करके किया गया है. इसका दूसरा चरण नौसेना में शामिल होने के बाद शुरू होगा.
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