Updated on: 15 August, 2025 02:35 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
आदित्य ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन "खून और पानी साथ नहीं बह सकते" का हवाला देते हुए BCCI पर तीखा हमला बोला.
X/Pics, Aaditya Thackeray
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पर सीधा हमला बोला है. शुक्रवार को जारी एक कड़े लहजे वाले पोस्ट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए गए बयान का हवाला देते हुए कहा कि अगर BCCI खुद को देश के हित और प्रधानमंत्री के शब्दों से भी ऊपर समझता है, तो यह शर्मनाक है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
आदित्य ठाकरे ने लिखा, “यह वाकई शर्म की बात होगी अगर @BCCI यह सोचे कि वह आज लाल किले से प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बातों से ऊपर है. केंद्र सरकार और हमारे देश ने दुनिया को यह बताने की इतनी कोशिश की कि पहलगाम हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, और अब BCCI का पैसों का लालच सशस्त्र बलों, राष्ट्र और प्रधानमंत्री के इस कथन से भी ऊपर है कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.’”
It’ll be a real shame if the @BCCI thinks it’s above what the PM said from Red Fort today.
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) August 15, 2025
After so many efforts of the Union Government and our country to tell the world that pak is behind the Pahalgham attacks, the greed for money of the BCCI stands above the sacrifice of the…
उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान से जुड़े टूर्नामेंट में खेलने का फैसला, BCCI की आर्थिक भूख का नतीजा है, जबकि देश में हालात और भावनाएं इसके बिल्कुल खिलाफ हैं. ठाकरे ने सवाल उठाया कि जब खुद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है, तो फिर BCCI किस मजबूरी में पाकिस्तान से जुड़े टूर्नामेंट में भाग लेने को तैयार है.
ICC और एशिया कप के नियमों का हवाला देने पर भी उन्होंने तीखा तंज कसा. आदित्य ने कहा कि ICC में BCCI की ताकत इतनी है कि वह चाहकर किसी भी नियम में बदलाव करा सकता है, लेकिन इस बार ऐसा करने की इच्छा दिखाई ही नहीं दी. उनके मुताबिक, यह निर्णय तकनीकी मजबूरी नहीं बल्कि साफ-साफ “पैसों की भूख” से प्रेरित है.
क्रिकेट भारत में सिर्फ़ खेल नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के गर्व और भावनाओं का हिस्सा है. ऐसे में पाकिस्तान के साथ खेलना हमेशा एक संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दा रहा है — खासकर तब, जब सीमा पर तनाव और आतंकी घटनाएं ताज़ा हों. आदित्य का बयान इस बहस को और गरमा देता है कि खेल और राष्ट्रहित के टकराव में प्राथमिकता किसे दी जानी चाहिए.
उनका संदेश साफ है — जब बात देश के सम्मान और सुरक्षा की हो, तो कोई भी खेल, कोई भी टूर्नामेंट और कोई भी आर्थिक लाभ उससे ऊपर नहीं होना चाहिए. BCCI के इस फैसले ने न सिर्फ़ राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम जनता के बीच भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT