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बेगुनाह साबित हुए 2008 मालेगांव विस्फोट के सभी आरोपी

Updated on: 31 July, 2025 07:38 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे.

अदालत में प्रज्ञा ठाकुर. तस्वीर/पीटीआई

अदालत में प्रज्ञा ठाकुर. तस्वीर/पीटीआई

सितंबर 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में गुरुवार को यहां की एक विशेष अदालत ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और की गई जाँच में कई खामियों को उजागर किया और कहा कि आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक 29 सितंबर, 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे. न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए कोई "विश्वसनीय और ठोस" सबूत नहीं है. अदालत ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान इस मामले पर लागू नहीं होते.


अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया है. अदालत ने कहा कि यह भी साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट कथित तौर पर बाइक पर लगाए गए बम से हुआ था. रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले सुबह, सातों आरोपी, जो सभी जमानत पर रिहा हैं, दक्षिण मुंबई स्थित सत्र न्यायालय पहुँचे, जहाँ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. 


इस मामले के आरोपियों में ठाकुर, पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे. रिपोर्ट के मुताबिक उन सभी पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता व शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आतंकवादी कृत्य करने का आरोप लगाया गया था. अभियोजन पक्ष का दावा था कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने के इरादे से दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने विस्फोट की साजिश रची थी.


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