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दिल्ली हाईकोर्ट ने की NCR शहरों को दिल्ली में विलय करने की जनहित याचिका खारिज, कहा- `हम संसद नहीं हैं`

Updated on: 29 February, 2024 07:20 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

याचिका में कहा गया है कि ये शहर अपने संबंधित क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालयों से बहुत दूर हैं और इसलिए इन्हें दिल्ली का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.

रिप्रेजेंटेटिव इमेज

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दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के पड़ोसी शहरों जैसे मेरठ, फरीदाबाद और गुरुग्राम को राष्ट्रीय राजधानी में विलय करने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दायर की गई याचिका में कहा गया है कि ये शहर अपने संबंधित क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालयों से बहुत दूर हैं और इसलिए इन्हें दिल्ली का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.

रिपोर्ट्स के मुताबिक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में पंजाब के लिए जालंधर में एक नया हाईकोर्ट स्थापित करने की मांग की है क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में वर्तमान उच्च न्यायालय अमृतसर जैसे स्थानों में रहने वालों के लिए असुविधाजनक है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि राज्यों के क्षेत्रों के पुनर्गठन के साथ-साथ उच्च न्यायालयों की स्थापना उच्च न्यायालय के क्षेत्र में नहीं है.


पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा, "आप अदालत में क्यों आए हैं. हम संसद नहीं हैं. संसद मेरे आदेश के तहत काम नहीं करती है. हम राज्यों की सीमाओं का पुनर्गठन नहीं करते हैं. हम यह तय नहीं करते हैं कि कौन सा उच्च न्यायालय कहां से कार्य करेगा. यह हमारा डोमेन नहीं है". रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि याचिका संविधान के अनुच्छेद 3 की अनदेखी में दायर की गई थी जो नए राज्यों के गठन की प्रक्रिया और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में बदलाव से संबंधित है. 



उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि किसी राज्य की सीमाओं को बनाने या बदलने के लिए एक विधेयक एक राष्ट्रपति की सिफारिश पर संसद में पेश किया जाना चाहिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा, "कोई चाहता है कि हम नक्शा दोबारा बनाएं. बस यही एक चीज़ बची है."


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