Updated on: 05 October, 2024 11:06 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उपसभापति और एनसीपी-अजित पवार के सदस्य नरहरि जिरवाल ने सर्वदलीय विरोध का नेतृत्व किया.
सुरक्षा घेरे में आने के बाद विधायकों का वीडियो जारी
शुक्रवार को मंत्रालय में जाति-केंद्रित आंदोलन शुरू हो गया, जब आदिवासी समुदाय के कुछ विधायक सुरक्षा जाल पर कूद गए, जिससे कोई भी नीचे प्रांगण में नहीं गिर सकता था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उपसभापति और एनसीपी-अजित पवार के सदस्य नरहरि जिरवाल ने सर्वदलीय विरोध का नेतृत्व किया, जिसमें धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल न करने की उनकी मांग और पंचायतों के अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार (पेसा) अधिनियम के तहत उनके साथ किए गए अनुचित व्यवहार की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया गया.
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रिपोर्ट्स के मुताबिक जिरवाल, राजेश पाटिल, हीरामन खोसकर, काशीराम पावरा, किरण लाहमते, हेमंत सावरा (सांसद) और अन्य ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. उनमें से कुछ जिरवाल सहित तीसरी मंजिल से सुरक्षा जाल में कूद गए. उस समय कैबिनेट की बैठक में शामिल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से फोन पर मामले पर चर्चा करने के बाद, प्रदर्शनकारियों को सुरक्षित निकालने में मदद की गई. लेकिन वे राज्य के मुखिया से आगे की बातचीत की मांग करते हुए दूसरी मंजिल पर बैठे रहे.
सूत्रों ने कहा कि कई अन्य आदिवासी विधायक और सांसद मुंबई जा रहे थे. जिरवाल ने कुछ दिन पहले धरना-प्रदर्शन की धमकी दी थी. उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर पेसा के तहत अधिसूचित एसटी अभ्यर्थियों की नियुक्ति बंद करने को कहा था. समुदाय के छात्र पिछले 15 दिनों से सार्वजनिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. डिप्टी स्पीकर ने भी धनगरों को एसटी सूची में शामिल करने के संबंध में किसी भी असंवैधानिक निर्णय के खिलाफ चेतावनी दी थी. उन्होंने यह भी मांग की कि धनगर आरक्षण पर रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए. जिरवाल ने शुक्रवार को मांगों को दोहराते हुए कहा कि अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आदिवासी जनप्रतिनिधियों के पास `प्लान बी` है.
उन्होंने कहा, `मैं पहले आदिवासी हूं, फिर विधायक और डिप्टी स्पीकर. सरकार का कोई भी नेता प्रदर्शनकारी छात्रों से मिलने नहीं आया है.` कहा जाता है कि उनके बयानों के बाद सीएम ने शुक्रवार को साप्ताहिक कैबिनेट बैठक के बाद आदिवासी नेताओं से मिलने का वादा किया. विधायकों ने जो मुख्य नाराजगी जताई, उनमें से एक यह थी कि सीएम ने उनसे मुलाकात नहीं की, लेकिन तीन दिन पहले जिरवाल के सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार, उन्होंने आदिवासी विधायकों और संघ नेताओं के साथ सीएम और कुछ मंत्रियों से मुलाकात की थी.
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