Updated on: 26 August, 2025 10:28 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर मनोज जरांगे पाटिल ने 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का ऐलान किया है. इस पर भाजपा नेता केशव उपाध्ये ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गणेशोत्सव के बीच आंदोलन से मुंबई का सामान्य जीवन बाधित होगा.
X/Pics, Keshav Upadhye
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन एक बार फिर जोर पकड़ रहा है. आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए घोषणा की है कि 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे. उनके इस ऐलान ने राज्य की राजनीति में हलचल तेज कर दी है.
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इसी बीच, भाजपा नेता और मुख्य प्रवक्ते केशव उपाध्ये ने आंदोलन को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की शुरुआत होने जा रही है, और यह पर्व हर घर में उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है. ऐसे समय में जरांगे पाटिल द्वारा आंदोलन शुरू करना, आम लोगों के जीवन और उत्सव के माहौल को बाधित कर सकता है. उन्होंने अपील की कि आंदोलन स्थगित किया जाए ताकि मुंबई का सामान्य जीवन प्रभावित न हो और सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे.
उभ्या महाराष्ट्राचे आराध्य दैवत असलेल्या श्रीगणेशाचे आगमन उद्या होत आहे. महाराष्ट्रातील घराघरात हा गणेशोत्सव उत्साहात साजरा केला जातों
— Keshav Upadhye (@keshavupadhye) August 26, 2025
महाराष्ट्रातील घराघरात गौरी गणपतीच्या आगमनाने आनंदाचे मांगल्याचे वातावरण आहे. मराठा समाज हा उत्सव मोठ्या भाविकतेने साजरा करतो. नेमक्या अशाच…
उपाध्ये ने यह भी कहा कि सरकार मराठा समुदाय की मांगों के प्रति ईमानदार और प्रतिबद्ध है. उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री रहते हुए देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए थे और समुदाय के लिए कई योजनाएँ शुरू की थीं. उनका कहना था कि वर्तमान सरकार भी उसी दिशा में प्रयासरत है और सकारात्मक तरीके से समाधान खोजने की कोशिश कर रही है.
भाजपा नेता ने शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) पर भी निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार की नाकामी के कारण मराठा समुदाय को मिला आरक्षण छिन गया. उपाध्ये के अनुसार, यदि उस समय सही पहल होती तो आज समुदाय को यह संघर्ष नहीं करना पड़ता.
उन्होंने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों को टकराव का रास्ता छोड़कर संवाद और सहयोग की राह अपनानी चाहिए. “सरकार के सामने खड़े होकर थप्पड़ मारने की बजाय यदि हम सहयोग का हाथ बढ़ाएँ, तो न केवल समुदाय की समस्याओं का समाधान होगा बल्कि सामाजिक समरसता भी मजबूत होगी,” उन्होंने कहा.
जरांगे पाटिल का आंदोलन और उपाध्ये की प्रतिक्रिया से यह साफ है कि मराठा आरक्षण का मुद्दा आगामी दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति का केंद्र बिंदु बनने वाला है. गणेशोत्सव के बीच यह आंदोलन कितना बड़ा स्वरूप लेगा, इस पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं.
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