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`किसानों को उत्पादन की मार झेलनी...` प्याज के मुद्दे पर छगन भुजबल का पीएम मोदी को पत्र

Updated on: 16 May, 2024 10:15 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

मंत्री छगन भुजबल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा की और उन्हें एक पत्र दिया.

 निर्यात नीति के कारण अंगूर के कई कंटेनरों को बांग्लादेश सीमा पर रोक लिया गया. इससे अंगूर उत्पादकों को बड़ी मार झेलनी पड़ रही है.

निर्यात नीति के कारण अंगूर के कई कंटेनरों को बांग्लादेश सीमा पर रोक लिया गया. इससे अंगूर उत्पादकों को बड़ी मार झेलनी पड़ रही है.

Chhagan Bhujbal Nashik News: प्याज निर्यात को लेकर केंद्र सरकार की नीति के कारण राज्य के खासकर नासिक जिले के प्याज उत्पादक किसान निराश हो गये हैं. इसलिए, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री छगन भुजबल ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से महाराष्ट्र में प्याज किसानों के लिए स्थायी उपाय करने का अनुरोध किया है. महायुति उम्मीदवारों के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पिंपलगांव बसवंत में एक सार्वजनिक बैठक की. इस मुलाकात के मौके पर मंत्री छगन भुजबल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा की और उन्हें एक पत्र दिया.

मंत्री छगन भुजबल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि देश में कुल प्याज उत्पादन का 60 से 70 फीसदी उत्पादन महाराष्ट्र राज्य में होता है, जबकि राज्य के कुल प्याज उत्पादन का 60 फीसदी नासिक जिले में पैदा होता है. अकेला जिले में प्याज किसानों की एकमात्र नकदी फसल है. चूंकि प्याज की कीमत का असर किसानों की जिंदगी और मौत से जुड़ा है, इसलिए समय-समय पर प्याज की न्यूनतम निर्यात दर में बढ़ोतरी या निर्यात प्रतिबंध से जिले में प्याज के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. दरअसल, सरकार को वैश्विक बाजारों में प्याज का निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है. केंद्र सरकार की इस नीति के कारण निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, साथ ही निर्यात प्रतिबंध और न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में वृद्धि के कारण प्याज को कम कीमतों पर बेचना पड़ता है.` 


अपने पत्र में उन्होंने आगे कहा, `प्याज की ऊंची कीमत के कारण निर्यात स्वतः ही प्रतिबंधित हो गया है और कम मात्रा में निर्यात किया जा रहा है. परिणामस्वरूप, पाकिस्तान और अन्य देशों को इससे लाभ हो रहा है और चूंकि अन्य देशों से प्याज का निर्यात हमारे मुकाबले बड़ा है, इसलिए इसका असर हमारी विदेशी मुद्रा पर भी पड़ रहा है. किसानों का मानना ​​है कि केंद्र सरकार शहरों के बाजारों को देखते हुए प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की नीति में हस्तक्षेप कर किसानों के साथ अन्याय कर रही है. जब किसानों को जमीन की कीमत पर प्याज बेचने का समय आता है, तो किसान अधर में लटक जाते हैं. प्याज की गारंटीशुदा कीमत नहीं दी जा सकती तो केंद्र सरकार को तेजी में दखल नहीं देना चाहिए.` 


उन्होंने आगे बताया कि `मजदूरों की कमी, बढ़ती मजदूर दरें और बेहद महंगे प्याज के बीज उर्वरक के कारण प्याज किसानों को उत्पादन लागत की मार झेलनी पड़ रही है. किसानों द्वारा भंडारित प्याज की उत्पादन लागत लगभग 1000 रुपये प्रति क्विंटल है. भंडारण में लगभग 25 प्रतिशत मूल्यह्रास और परिवहन लागत को ध्यान में रखकर यदि इसे 15 रुपये प्रति किलोग्राम से कम पर बेचा जाए तो किसान की केवल उत्पादन लागत ही निकल पाती है. ऐसे में किसानों को लग रहा है कि केंद्र सरकार ने ऐसा अनुचित फैसला लिया है. इससे किसानों में काफी गुस्सा है. महाराष्ट्र सरकार राज्य में धान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देती है और इसके अतिरिक्त, मंत्री छगन भुजबल द्वारा दिए गए पत्र में, मैं उनकी ओर से अनुरोध करता हूं.`

 
 
 
 
 
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अंगूर उत्पादकों को राहत दी जानी चाहिए
निर्यात नीति के कारण अंगूर के कई कंटेनरों को बांग्लादेश सीमा पर रोक लिया गया. इससे अंगूर उत्पादकों को बड़ी मार झेलनी पड़ रही है. इसलिए उन्होंने प्याज की तरह अंगूर उत्पादकों के मुद्दे पर भी ध्यान देने का अनुरोध किया. भुजबल ने नरेंद्र मोदी से चर्चा करते हुए उनसे यह भी कहा कि निर्यात को लेकर एक उचित नीति बनाई जानी चाहिए.

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