Updated on: 04 August, 2025 10:35 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे.
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झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक नेता शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया. वे 81 साल के थे और पिछले कई दिनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था, लेकिन तमाम चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका.
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शिबू सोरेन को झारखंड की राजनीति में एक मजबूत आदिवासी नेता के रूप में जाना जाता था. उन्होंने आदिवासी अधिकारों और जंगल-जमीन के संरक्षण के लिए दशकों तक संघर्ष किया. ‘गुरुजी’ के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन ने झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. उनके निधन की खबर से पूरे राज्य में शोक की लहर है. विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है.
झामुमो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, "हमने अपने मार्गदर्शक, संरक्षक और झारखंड आंदोलन के महान योद्धा को खो दिया है. गुरुजी का जाना एक अपूरणीय क्षति है."
शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 के दशक में की थी. उन्होंने 1980 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा को संगठित रूप दिया और कई बड़े जनांदोलनों की अगुवाई की. वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र सरकार में कोयला मंत्री जैसे अहम पद पर भी रहे.
हालांकि उनके जीवन में विवाद भी रहे — 2004 में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया.
उनके बेटे हेमंत सोरेन, जो वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, ने पिता के निधन को व्यक्तिगत और राजनीतिक रूप से बड़ी क्षति बताया है. उन्होंने कहा, "मेरे पिता सिर्फ मेरे अभिभावक नहीं थे, बल्कि वे राज्य के लोगों के लिए एक मार्गदर्शक थे."
राज्य सरकार ने शिबू सोरेन के सम्मान में राजकीय शोक की घोषणा की है और अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
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