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मॉडर्न मेडिसिन प्रैक्टिस की मांग पर अड़े होम्योपैथ, कहा, `अबकी बार कदम होगा कठोर`

Updated on: 12 August, 2025 09:26 AM IST | Mumbai
Ritika Gondhalekar | ritika.gondhalekar@mid-day.com

महाराष्ट्र में होम्योपैथी चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच विवाद तेज हो गया है. महाराष्ट्र होम्योपैथी परिषद के प्रशासक बाहुबली शाह ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति अपनाने की अनुमति को लेकर सरकार को अल्टीमेटम दिया है.

PICS/RITIKA GONDHALEKAR

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होम्योपैथी चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच गतिरोध चरम पर पहुँच गया है. महाराष्ट्र होम्योपैथी परिषद (एमसीएच) के प्रशासक बाहुबली शाह ने मिड-डे को बताया कि राज्य सरकार को उनके बयान को एक अल्टीमेटम के रूप में लेना चाहिए और आधुनिक चिकित्सा पद्धति अपनाने की उनकी माँग को गंभीरता से लेना चाहिए.

चिकित्सकों ने घोषणा की है कि वे मुख्यमंत्री कार्यालय से जवाब के लिए मंगलवार शाम तक ही इंतज़ार करेंगे, अन्यथा वे "हड़ताल से भी ज़्यादा कठोर, कड़े कदम" उठाएँगे.


महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा एक साल का प्रमाणन पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद होम्योपैथी चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति लिखने और उसका अभ्यास करने की अनुमति देने वाले पहले के आदेश पर रोक लगाने के बाद होम्योपैथ भूख हड़ताल पर चले गए थे. शाह ने कहा, "लगभग 16 जुलाई को मुख्यमंत्री ने कहा था कि समाधान निकालने के लिए एक आंतरिक समिति गठित की जाएगी और चार दिनों के भीतर जवाब दिया जाएगा. विश्वास बनाए रखते हुए, हमने विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया. लेकिन अब लगभग एक महीना हो गया है और हमें कोई जवाब नहीं मिला है."


होम्योपैथी चिकित्सकों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे चिकित्सा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं और उन्होंने आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने के लिए आवश्यक पाठ्यक्रम लिया है, इसलिए मरीजों की जान को कोई खतरा नहीं हो सकता. एक होम्योपैथ ने कहा, "हम पहले से ही सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज करने के लिए एमबीबीएस डिग्री वाले डॉक्टरों की मदद कर रहे हैं. हमने इस एक साल के पाठ्यक्रम को करने से बहुत पहले ही व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर लिया है. इसलिए, मुझे आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने से रोकने का कोई कारण नहीं दिखता."

व्यवस्था पर से भरोसा उठ जाने की बात कहते हुए शाह ने मिड-डे को बताया, "पहले, जब हम छोटे थे, तो विरोध प्रदर्शन फ़ैसले बदलने और न्याय पाने का सबसे मज़बूत ज़रिया होता था. लेकिन अब तो भूख हड़ताल को भी गंभीरता से नहीं लिया जाता. इसलिए, अगर सरकार हमारी माँगों पर, उनके जायज़ और चिकित्सकीय रूप से सही होने के बावजूद, विचार नहीं करती, तो हमें कुछ बड़ा करने पर मजबूर होना पड़ेगा. मुझे उम्मीद है कि हमें ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा, और अगर मजबूर किया भी गया, तो मुझे उम्मीद है कि होम्योपैथिक संस्था जो भी फ़ैसला लेगी, उसे गंभीरता से लिया जाएगा."


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