Updated on: 08 January, 2025 12:59 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने याचिकाकर्ता से दिल्ली उच्च न्यायालय जाने को कहा.
फ़ाइल चित्र
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) अश्विनी कुमार को 10 जनवरी को दिल्ली वक्फ बोर्ड का प्रशासक नियुक्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने याचिकाकर्ता से दिल्ली उच्च न्यायालय जाने को कहा.
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रिपोर्ट के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय जमीर अहमद जुमलाना की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में कुमार को दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक के रूप में कार्य करने से रोकने और तत्काल प्रभाव से पद खाली करने के निर्देश देने की मांग की गई थी. कुमार की नियुक्ति को मंजूरी देने वाले उपराज्यपाल (एलजी) वी के सक्सेना ने शुक्रवार को आईएएस अधिकारी अजीमुल हक को दिल्ली वक्फ बोर्ड का सीईओ नियुक्त करने को भी हरी झंडी दे दी.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली राज्य वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 26 अगस्त, 2023 को पूरा हो रहा है और तब से कोई बोर्ड गठित नहीं किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार याचिका में कहा गया है कि बोर्ड की अनुपस्थिति में, एलजी ने वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 99 के तहत शक्तियों का कथित तौर पर उपयोग करते हुए कुमार को नियुक्त करके इसकी शक्तियों को अपने हाथ में ले लिया. याचिका के अनुसार, कुमार वक्फ अधिनियम 1995 के तहत पात्र नहीं थे और उन्होंने इस तथ्य का फायदा उठाया कि प्रतिवादियों की लापरवाही के कारण दिल्ली वक्फ बोर्ड अनिश्चित काल के लिए स्थगित था.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 मई को यास्मीन अली द्वारा दायर इसी तरह की याचिका को खारिज कर दिया और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया. रिपोर्ट के मुताबिक उच्च न्यायालय ने कहा कि यह याचिका प्रचार-उन्मुखी है और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है, क्योंकि इसमें बोर्ड के प्रशासक के रूप में शहर के सरकारी अधिकारी की नियुक्ति को रद्द करने के लिए कोई वैध कारण नहीं दिए गए हैं.
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