Updated on: 02 September, 2025 04:29 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उन्होंने आतंकवाद से निपटने में "दोहरे मानदंडों" को त्यागने की पुरज़ोर वकालत की.
चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (दाएं). तस्वीर/पीटीआई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर हमला है, बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश के लिए एक खुली चुनौती भी है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आतंकवाद से निपटने में "दोहरे मानदंडों" को त्यागने की पुरज़ोर वकालत की.
मोदी ने वार्षिक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद से लड़ना "मानवता के प्रति कर्तव्य" है. उन्होंने कहा, "हमें स्पष्ट रूप से और एक स्वर में कहना चाहिए: आतंकवाद पर दोहरे मानदंड अस्वीकार्य हैं. हमें मिलकर हर रूप और अभिव्यक्ति में आतंकवाद का विरोध करना चाहिए. यह मानवता के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी है."
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रिपोर्ट के मुताबिक मोदी ने कहा कि भारत पिछले कई दशकों से क्रूर आतंकवाद के गंभीर जख्मों को झेल रहा है और उन्होंने इस दुख की घड़ी में भारत के साथ खड़े सभी मित्र देशों के प्रति "गहरी कृतज्ञता" व्यक्त की. मोदी ने कहा कि आतंकवाद न केवल व्यक्तिगत राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है.
प्रधानमंत्री ने समूह के प्रति भारत के दृष्टिकोण और नीति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए एससीओ के लिए एक संक्षिप्त नाम प्रस्तुत किया. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया, "S का मतलब सुरक्षा, C का मतलब कनेक्टिविटी और O का मतलब अवसर." प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय विकास और प्रगति के लिए कनेक्टिविटी के महत्व पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का पालन होना चाहिए. यह एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों में भी निहित है."
उन्होंने आगे कहा, "जो कनेक्टिविटी संप्रभुता को दरकिनार करती है, वह अंततः विश्वास और अर्थ दोनों खो देती है." रिपोर्ट के मुताबिक उनकी टिप्पणियों को चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का अप्रत्यक्ष संदर्भ माना जा रहा है. भारत इसका विरोध करता रहा है क्योंकि इस परियोजना का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है. प्रधानमंत्री ने एससीओ के तहत एक सभ्यतागत संवाद मंच बनाने का भी प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा, "ऐसा मंच हमें अपनी प्राचीन सभ्यताओं, कला, साहित्य और परंपराओं की समृद्धि को वैश्विक मंच पर साझा करने का अवसर देगा." प्रधानमंत्री ने वैश्विक दक्षिण के विकास को सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण की आकांक्षाओं को पुराने ढाँचों में सीमित रखना आने वाली पीढ़ियों के साथ घोर अन्याय है. प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को चीन की अपनी "सकारात्मक" यात्रा संपन्न की.
अपनी दो देशों की यात्रा के अंतिम चरण में यहाँ आए प्रधानमंत्री ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उन्होंने यहाँ "प्रमुख वैश्विक मुद्दों" पर भारत के रुख पर ज़ोर दिया. मोदी ने एक पोस्ट में कहा, "चीन की एक सार्थक यात्रा संपन्न हुई, जहाँ मैंने एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया और विभिन्न विश्व नेताओं के साथ बातचीत की. साथ ही प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख पर भी ज़ोर दिया." प्रधानमंत्री ने कहा कि वह शिखर सम्मेलन के "सफल आयोजन" के लिए राष्ट्रपति शी, चीनी सरकार और देश की जनता के आभारी हैं. मोदी की चीन यात्रा सात साल के अंतराल के बाद हुई है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करना मानवता का आह्वान है. मोदी ने कहा, "हम यूक्रेन में शांति लाने के सभी हालिया प्रयासों का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि सभी संबंधित पक्ष रचनात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे." उन्होंने कहा कि मानवता का आह्वान है कि संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए और क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के तरीके खोजे जाएँ. मोदी ने यह भी कहा कि भारत रूसी नेता के स्वागत का इंतज़ार कर रहा है. एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री को द्विपक्षीय वार्ता स्थल तक पहुँचने के लिए अपनी ऑरस लिमोज़ीन में लिफ्ट देने की पेशकश की. मोदी और पुतिन ने आर्थिक, वित्तीय और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर भी विचार-विमर्श किया और इन क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया. पुतिन दिसंबर में भारत की यात्रा पर आने वाले हैं.
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