Updated on: 15 October, 2024 03:22 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया को संघर्ष से बाहर निकालकर जोड़ने में लगा हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. तस्वीर/पीटीआई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इंडिया मोबाइल कांग्रेस में दूरसंचार क्षेत्र में हुए प्रमुख विकासों पर प्रकाश डाला और कहा कि आज हमारा देश दूरसंचार और इससे जुड़ी तकनीक के मामले में दुनिया के सबसे अधिक सक्रिय देशों में से एक है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत दुनिया को संघर्ष से बाहर निकालकर जोड़ने में लगा हुआ है.
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रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी ने आईटीयू वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली को संबोधित करते हुए कहा, "आज भारत दूरसंचार और इससे जुड़ी तकनीक के मामले में दुनिया के सबसे अधिक सक्रिय देशों में से एक है. भारत, जहां 120 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ता हैं, और 95 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जहां दुनिया के 40 फीसदी से अधिक वास्तविक समय के डिजिटल लेनदेन होते हैं, जहां डिजिटल कनेक्टिविटी अंतिम-मील डिलीवरी का प्रभावी साधन है, वैश्विक दूरसंचार की स्थिति और भविष्य पर चर्चा भी वैश्विक भलाई का माध्यम बनेगी".
आज के वैश्विक संघर्षों को कम करके दुनिया को जोड़ने में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "WTSA आम सहमति के माध्यम से पूरी दुनिया को सशक्त बनाने की बात करता है. इंडिया मोबाइल कांग्रेस कनेक्टिविटी के माध्यम से पूरी दुनिया को सशक्त बनाने की बात करता है. यानी इस आयोजन में आम सहमति और कनेक्टिविटी को एक साथ जोड़ा गया है. आप जानते हैं कि आज के संघर्ष-ग्रस्त विश्व के लिए ये दोनों कितने महत्वपूर्ण हैं. भारत हजारों वर्षों से वसुधैव कुटुम्बकम के अमर संदेश को जी रहा है. जब हमें G20 का नेतृत्व करने का अवसर मिला, तो हमने एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का संदेश दिया. भारत दुनिया को संघर्ष से बाहर निकालकर जोड़ने में लगा हुआ है."
पीएम मोदी ने कहा कि WTSA और IMC का एक साथ आना प्रेरणादायक है, उन्होंने आगे कहा, "जब लोकल और वोकल एक साथ आते हैं, तो दुनिया को फायदा होता है और यही हमारा लक्ष्य है. भारत की दूरसंचार यात्रा पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय बन गई. भारत में हमने दूरसंचार को सिर्फ कनेक्टिविटी का माध्यम नहीं बनाया बल्कि समानता हासिल करने और अवसर प्रदान करने का माध्यम बनाया. यह माध्यम गरीब और अमीर, गांव और शहर के बीच के अंतर को कम करने में मदद कर रहा है".
इंडिया मोबाइल कांग्रेस में पीएम मोदी ने कहा कि जब डिजिटल इंडिया का विजन पेश किया गया था, तो कहा गया था कि हम समग्र दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे. रिपोर्ट के अनुसार इसके साथ ही उन्होंने कहा, "हमने डिजिटल इंडिया के चार स्तंभों की पहचान की- पहला, डिवाइस की लागत कम होनी चाहिए, दूसरा डिजिटल कनेक्टिविटी हर गली-मोहल्ले तक पहुंचनी चाहिए, तीसरा डेटा सभी के लिए सुलभ होना चाहिए और चौथा डिजिटल-फर्स्ट हमारा लक्ष्य होना चाहिए. हमने चारों पर एक साथ काम किया और हमें नतीजे भी मिले. अगर हम देश में मोबाइल का निर्माण नहीं करते तो मोबाइल सस्ते नहीं हो सकते थे."
मोबाइल निर्माण में भारत की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, "2014 में भारत में सिर्फ दो मोबाइल निर्माण इकाइयां थीं और आज 200 से ज्यादा हैं. पहले हम ज्यादातर फोन विदेश से आयात करते थे, आज हम पहले की तुलना में 6 गुना ज्यादा मोबाइल फोन भारत में बना रहे हैं. हम मोबाइल निर्यातक देश के रूप में जाने जाते हैं और हम यहीं नहीं रुके हैं, अब हम चिप से लेकर तैयार उत्पादों तक पूरी तरह से मेड-इन-इंडिया फोन दुनिया को उपलब्ध कराने में लगे हैं. हम भारत में सेमीकंडक्टर में भी भारी निवेश कर रहे हैं,".
इंडिया मोबाइल कांग्रेस में, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारत दुनिया में दूसरे सबसे बड़े 5G बाजार के रूप में उभरा. रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "सिर्फ दस वर्षों में, भारत ने जो ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से आठ गुना है. मैं आपको भारत की गति का एक उदाहरण देता हूं. दो साल पहले, हमने मोबाइल कांग्रेस में ही 5G लॉन्च किया था. आज, भारत का लगभग हर जिला 5G सेवा से जुड़ा हुआ है. आज, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा 5G बाजार बन गया है और अब हम 6G तकनीक पर भी तेजी से काम कर रहे हैं".
"डिजिटल प्रौद्योगिकी के वैश्विक ढांचे, वैश्विक दिशा-निर्देशों का विषय, अब समय आ गया है कि वैश्विक संस्थाएं वैश्विक शासन के लिए इसके महत्व को स्वीकार करें. वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी के लिए क्या करें और क्या न करें, इस पर निर्णय लेना होगा. उन्होंने कहा, "आज जितने भी डिजिटल उपकरण और अनुप्रयोग उपलब्ध हैं, वे सीमाओं से परे हैं. वे किसी भी देश की सीमाओं से परे हैं. इसलिए, कोई भी देश अपने नागरिकों को साइबर खतरों से अकेले नहीं बचा सकता है. इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा. वैश्विक संस्थाओं को आगे आकर जिम्मेदारी लेनी होगी. जैसे हमने विमानन क्षेत्र के लिए वैश्विक नियम और विनियमन ढांचा बनाया है, डिजिटल दुनिया को भी इसी तरह के ढांचे की जरूरत है...भारत का डेटा संरक्षण अधिनियम और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति एक सुरक्षित डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है."
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