Updated on: 03 September, 2024 04:02 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 अनुसंधान को बढ़ावा देती है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल के 21वें दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू। तस्वीर/पीटीआई
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को महाराष्ट्र में शिक्षा प्रणाली में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भारत में अनुसंधान विद्वान न केवल देश, बल्कि दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान खोजने में भी सक्षम हैं. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 अनुसंधान को बढ़ावा देती है. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड विश्वविद्यालय) के 21वें दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "मुझे विश्वास है कि युवा पीढ़ी देश के विकास के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. देश के लोगों में बहुत प्रतिभा और कौशल है. मैं चाहती हूं कि आप समाज की जरूरतों को समझें और अपने ज्ञान का उपयोग करके ऐसे समाधान निकालें जो आम जनता, खासकर हाशिए पर पड़े लोगों के विकास में मदद कर सकें और इससे स्थिरता को बढ़ावा मिल सके". उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी सरकारी योजनाओं के जरिए युवा पीढ़ी अपने लक्ष्य हासिल कर सकती है. उन्होंने कहा, "मैं यहां सभी से कहना चाहूंगी कि शिक्षा प्रणाली में शोध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. भारत के शोधार्थी न केवल देश के भीतर बल्कि दुनिया की समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शोध को बढ़ावा दिया गया है."
सोमवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत के विकास में सहकारिता क्षेत्र का योगदान अतुलनीय है. रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के पश्चिमी शहर वारनानगर में श्री वारना महिला सहकारी समूह के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "व्यापार और उद्यमिता ने आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन देश के विकास में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका अतुलनीय है." राष्ट्रपति ने कहा कि समाज में निहित शक्ति का सदुपयोग करने के लिए सहकारिता सबसे अच्छा माध्यम है.
उन्होंने कहा, "सहकारिता के सिद्धांत संविधान में वर्णित न्याय, एकता और बंधुत्व की भावना का पालन करते हैं. जब विभिन्न वर्गों और विचारधाराओं के लोग सहयोग के लिए एकजुट होते हैं, तो उन्हें सामाजिक विविधता का लाभ मिलता है." रिपोर्ट के मुताबिक मुर्मू ने कहा कि देश के आर्थिक विकास में सहकारी समितियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अमूल और लिज्जत पापड़ जैसे घरेलू ब्रांड ऐसी सहकारी समितियों के उदाहरण हैं. उन्होंने कहा कि सहकारी समूहों ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसी सहकारी समितियां लगभग सभी राज्यों में दूध और दूध उत्पादों का उत्पादन और वितरण करती हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि केवल दूध ही नहीं, सहकारी संस्थाएं उर्वरक, कपास, हथकरघा, आवास, खाद्य तेल और चीनी जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT