Updated on: 05 August, 2025 08:48 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
राज ठाकरे ने मनसे कार्यकर्ताओं से आंतरिक कलह खत्म करने और संगठन को मजबूत करने की अपील की.
X/Pics, Raj Thackeray
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आंतरिक कलह को खत्म करने और संगठन के पुनर्निर्माण की दिशा में एकजुट होकर काम करने की अपील की है. मुंबई में सोमवार को हुई एक बैठक में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर वह और उनके चचेरे भाई, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, दो दशकों के बाद एक साथ आ सकते हैं, तो पार्टी कार्यकर्ता भी आपसी मतभेद भुला सकते हैं.
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राज ठाकरे ने हाल ही में उद्धव ठाकरे के साथ राजनीतिक मंच साझा कर एक बड़ा संकेत दिया है. यह मंच साझा करना सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं था, बल्कि राज्य सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में त्रि-भाषा नीति से जुड़े विवादास्पद आदेशों को वापस लेने के लिए दोनों नेताओं के साझा दबाव का परिणाम भी था. इस मौके पर दोनों नेताओं ने मराठी पहचान और हिंदी भाषा के ‘थोपे’ जाने के मुद्दे पर संयुक्त रूप से आवाज उठाई.
बैठक में उपस्थित एक वरिष्ठ मनसे कार्यकर्ता के अनुसार, राज ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे पुराने साथियों से दोबारा संपर्क साधें जो पार्टी से दूर हो गए हैं. उन्होंने जोर दिया कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले संगठन को मजबूत करना प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की ताकत सिर्फ नेताओं से नहीं, बल्कि निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की एकजुटता से आती है.
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की नजदीकी हाल ही में तब चर्चा में आई जब राज, उद्धव के 65वें जन्मदिन पर खुद उनके बांद्रा स्थित निवास ‘मातोश्री’ पहुंचे. अपने दादर स्थित आवास ‘शिवतीर्थ’ से राज सीधे मातोश्री गए और उद्धव को लाल गुलाबों का एक बड़ा गुलदस्ता भेंट किया. उद्धव ने भी पार्टी सांसद संजय राउत के साथ राज का खुले दिल से स्वागत किया.
5 जुलाई को मुंबई में ‘विजय रैली’ के दौरान, दोनों नेताओं ने एकता का एक और बड़ा प्रदर्शन किया. इस रैली का आयोजन राज्य सरकार द्वारा हिंदी भाषा के दो विवादास्पद सरकारी प्रस्तावों को वापस लेने के फैसले के उपलक्ष्य में किया गया था. मंच से उद्धव ने सार्वजनिक रूप से कहा, “हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं.” इस दौरान मराठी अस्मिता और भाषाई पहचान जैसे मुद्दों पर दोनों नेताओं ने एकजुट होकर सरकार पर निशाना साधा.
इस रैली ने साफ कर दिया कि ठाकरे परिवार की दूरियां अब कम हो रही हैं, और राज्य की राजनीति में एक नई मराठी एकता का संदेश दिया जा रहा है. अब सवाल ये है कि क्या यह एकता चुनावी मोर्चे पर भी कायम रह पाएगी और मनसे इस नए जोश के साथ खुद को एक बार फिर प्रासंगिक बना पाएगी.
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