Updated on: 25 August, 2025 06:02 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने बताया कि अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पहले ही अदालत को आश्वासन दिया था कि मामले पर केवल सरकार ही बयान देगी.
प्रतीकात्मक तस्वीर
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यमन में हत्या के जुर्म में मौत की सज़ा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में "असत्यापित सार्वजनिक बयानों" पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता के ए पॉल को बताया कि अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पहले ही अदालत को आश्वासन दिया था कि इस मामले पर केवल सरकार ही बयान देगी.
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रिपोर्ट के मुताबिक याचिका को वापस लेते हुए खारिज करने से पहले पीठ ने टिप्पणी की, "आप क्या चाहते हैं? कि कोई भी मीडिया से कुछ न कहे? अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई ब्रीफिंग न हो. आप और क्या चाहते हैं." वेंकटरमणी ने इसे "बेहद संवेदनशील मामला" बताया और आश्वासन दिया कि जब तक यह मुद्दा सुलझ नहीं जाता, तब तक कोई मीडिया ब्रीफिंग नहीं होगी.
याचिका में केंद्र को प्रिया की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए यमन के साथ तत्काल राजनयिक प्रयास करने के निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि झूठे बयानों से चल रही बातचीत को कमजोर किया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार अन्य निर्देशों के अलावा, इसमें संबंधित अधिकारियों को एक व्यापक, समयबद्ध मीडिया गैग ऑर्डर के लिए सक्षम न्यायालय में आवेदन करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी, जिसमें सभी व्यक्तियों और अन्य लोगों को बातचीत में शामिल किसी अधिकृत सरकारी एजेंसी की पूर्व पुष्टि के बिना किसी भी असत्यापित सामग्री या बयान को प्रकाशित करने से रोका जा सके.
14 अगस्त को, याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि प्रिया को "कोई तत्काल खतरा" नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक उस समय, शीर्ष अदालत एक अलग याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र को केरल के पलक्कड़ की 38 वर्षीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसे 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था.
शीर्ष अदालत को पिछले महीने सूचित किया गया था कि प्रिया की फांसी, जो 16 जुलाई को निर्धारित थी, पर रोक लगा दी गई है. 18 जुलाई को, केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि प्रयास जारी हैं और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि प्रिया सुरक्षित बाहर आ जाए. वह यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद हैं.
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