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सिद्धार्थ हत्तियाम्बिरे का आरोप, परभणी में संविधान का अपमान, पुलिस की बर्बरता पर सरकार मौन

Updated on: 13 February, 2025 10:32 AM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

परभणी में संविधान के अपमान के खिलाफ उमड़े विरोध प्रदर्शन पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद व्यापक आक्रोश फैल गया है.

हत्तियाम्बिरे ने आगे चेतावनी दी कि यदि तत्काल न्याय नहीं मिला तो 3 मार्च को महाराष्ट्र में अंबेडकरवादी आंदोलन के सभी कार्यकर्ता और संविधान प्रेमी लोग मंत्रालय का घेराव करेंगे.

हत्तियाम्बिरे ने आगे चेतावनी दी कि यदि तत्काल न्याय नहीं मिला तो 3 मार्च को महाराष्ट्र में अंबेडकरवादी आंदोलन के सभी कार्यकर्ता और संविधान प्रेमी लोग मंत्रालय का घेराव करेंगे.

परभणी में हाल ही में संविधान की अवहेलना के विरोध में उमड़े जन-समूह पर पुलिस की कठोर कार्रवाई ने विवाद की चिंगारी को और हवा दे दी है. शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों अम्बेडकरवादियों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई निर्दोष लोग गिरफ्तार किए गए और उन्हें बेरहमी से पीटा गया. इस घटना में युवा वकील सोमनाथ सूर्यवंशी की हिरासत में मौत हो गई, जिस पर सरकार का ढुलमुल रवैया साफ नजर आया.

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष सिद्धार्थ हत्तियाम्बिरे ने इस बर्बर घटना के खिलाफ कड़े शब्दों में बोलते हुए मांग की कि सूर्यवंशी की मौत की जांच उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों से करवाई जाए और संबंधित पुलिस अधिकारियों को हत्या के आरोप में नौकरी से हटाया जाए.


प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने खुलासा किया कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के सामने संविधान की मूर्ति के अपमान के बाद हुए प्रदर्शन में सूर्यवंशी और अन्य वरिष्ठ नेता गिरफ्तार किए गए थे. इस घटना को दो महीने बीत चुके हैं पर दोनों परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिला है. सरकार की ओर से पुलिस को जांच के नाम पर संरक्षण दिया जा रहा है.


हत्तियाम्बिरे ने आगे चेतावनी दी कि यदि तत्काल न्याय नहीं मिला तो 3 मार्च को महाराष्ट्र में अंबेडकरवादी आंदोलन के सभी कार्यकर्ता और संविधान प्रेमी लोग मंत्रालय का घेराव करेंगे.

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित विभिन्न नेताओं ने घटना की गंभीरता को रेखांकित किया और समाज के लिए न्याय की मांग की. उपस्थित थे महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता और झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ विभाग मुंबई अध्यक्ष सुरेश चंद्र राजहंस, अनुसूचित जाति विभाग मुंबई अध्यक्ष कचरू यादव, महासचिव महेंद्र मुंगेकर, रमेश कांबले, राज वाल्मीकि आदि, जिन्होंने संवेदनशीलता और जोरदार अपील के साथ इस विषय पर बात की.


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