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क्या है डीपफेक टेक्नॉलॉजी, इन AI टूल्स से जाने वीडियो रियल है या फेक

Updated on: 08 November, 2023 08:15 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

डीपफेक टेक्नॉलॉजी को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है, आइए आपको बते हैं क्या है ये टेक्नॉलॉजी. डीपफेक टेक्नॉलॉजी से किसी भी फोटो और वीडियो में हेरफेर करके उसे और भी ज्यादा रियल बनाया जा सकता है.

प्रतिकात्मक तस्वीर

प्रतिकात्मक तस्वीर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी खतरनाक टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है. इससे न केवल टेक्स्ट, इमेज बल्कि वीडियोज भी एडिट किए जाते हैं. इन दिनों ओबामा से लेकर पुतिन और मनोज से लेकर रश्मिका मंधाना तक के वीडियोज चर्चा में हैं. इसके लिए जिस टेक्नॉलॉजी का यूज किया गया है, उसका नाम है डीपफेक टेक्नॉलॉजी. 

डीपफेक टेक्नॉलॉजी को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है, आइए आपको बते हैं क्या है ये टेक्नॉलॉजी. डीपफेक टेक्नॉलॉजी से किसी भी फोटो और वीडियो में हेरफेर करके उसे और भी ज्यादा रियल बनाया जा सकता है. ये इमेज कहीं से भी एडिटेड नहीं लगती. इस पर आसानी से भरोसा किया जा सकता है. इसमें Generative Adversarial Networks (GANs) टेक्नॉलॉजी का यूज किया जाता है. 


आपको बता दें कि डीपफेक शब्द `Deep Learning` और `Fake` के मेल से बना है. इस टेक्नॉलॉजी से किसी दूसरे की फोटो या वीडियो पर किसी सेलिब्रिटी वीडियो के फ़ेस के साथ फेस स्वैप कर दिया जाता है. पहली बार इस टेक्नॉलॉजी को पहली बार 2017 के अंत में एक Reddit यूजर द्वारा बनाया गया था, जिसने अश्लील वीडियो पर मशहूर हस्तियों के चेहरे को सुपरइम्पोज करने के लिए डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था.


इसके बाद साल 2018 में ओपन-सोर्स लाइब्रेरी और ऑनलाइन शेयर किए गए ट्यूटोरियल के कारण टेक्नोलॉजी इस्तेमाल में आसान हो गई थी. 2020, डीपफेक अधिक परिष्कृत हो गए और उनका पता लगाना कठिन हो गया. इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि फेक वीडियोज के बारे में हम जान ही नहीं सकते हैं. इसके बारे में और जानने के लिए हमें हमेशा हाथ-पैर की मूवमेंट पर भी देखना चाहिए. कई वेबसाइट फेक वीडियोज पर वॉटर मार्क भी देते हैं. 

एआई टूल का वीडियो में इस्तेमाल हुआ है या नहीं जानने के लिए मार्केट में कई टूल हैं. इसमें AI or Not और Hive Moderation जैसे टूल भी काम में आ सकते हैं, जो एआई-जनरेटेड कंटेंट का पता लगा सकते हैं. Deepware Scanner टूल का इस्तेमाल भी आप किसी इमेज या वीडियो के डीपफेक होना या न होने के लिए कर सकते हैं.


 

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