Updated on: 29 July, 2025 05:34 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
याचिकाकर्ताओं की इस आशंका पर कि 1 अगस्त को एसआईआर प्रक्रिया में चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाने वाली मसौदा सूची से 65 लाख मतदाता बाहर हो जाएँगे, पीठ ने कहा कि अदालत हस्तक्षेप करेगी.
भारत का सर्वोच्च न्यायालय. फ़ाइल चित्र
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार में चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर विचार करने के लिए समय-सीमा तय की और कहा कि इस मुद्दे पर सुनवाई 12 और 13 अगस्त को होगी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से 8 अगस्त तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा. याचिकाकर्ताओं की इस आशंका पर कि 1 अगस्त को एसआईआर प्रक्रिया में भारत के चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाने वाली मसौदा सूची से 65 लाख मतदाता बाहर हो जाएँगे, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने कहा कि अगर मतदाताओं का बड़े पैमाने पर बहिष्कार होता है, तो अदालत हस्तक्षेप करेगी.
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रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक बार फिर आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा 1 अगस्त को प्रकाशित की जाने वाली मसौदा सूची से लोगों को बाहर रखा जा रहा है, और वे मतदान का अपना अधिकार खो देंगे. पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसे कानून का पालन करना होता है. अगर कोई गड़बड़ी हो रही है, तो याचिकाकर्ता इसे अदालत के संज्ञान में ला सकते हैं.
पीठ ने सिब्बल और भूषण से कहा, "आप उन 15 लोगों को सामने लाएँ जिनके बारे में उनका दावा है कि वे मृत हैं, लेकिन वे जीवित हैं, हम उनसे निपटेंगे." पीठ ने लिखित प्रस्तुतियाँ/संकलन दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग की ओर से नोडल अधिकारी नियुक्त किए. रिपोर्ट के अनुसार आधार और मतदाता पहचान पत्र की "वास्तविकता की धारणा" पर ज़ोर देते हुए, सोमवार को शीर्ष अदालत ने चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के मसौदे के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के एसआईआर के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हमेशा के लिए फैसला सुनाएगी.
उसने चुनाव आयोग से अपने आदेश के अनुपालन में बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के लिए आधार और मतदाता पहचान पत्र स्वीकार करना जारी रखने को कहा और कहा कि दोनों दस्तावेजों की "वास्तविकता की धारणा" है. रिपोर्ट के मुताबिक पीठ ने कहा, "जहां तक राशन कार्डों का सवाल है, हम कह सकते हैं कि उन्हें आसानी से जाली बनाया जा सकता है, लेकिन आधार और वोटर कार्ड की कुछ पवित्रता होती है और उनके असली होने का अनुमान होता है. आप इन दस्तावेजों को स्वीकार करना जारी रखें."
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