प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. तस्वीर/पीटीआई
शीतकालीन सत्र से पहले संसद भवन के बाहर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह सत्र विपक्ष के लिए एक "सुनहरा अवसर" था.
उन्होंने कहा, "देश ने नकारात्मकता को खारिज कर दिया है. हम हमेशा सत्र की शुरुआत में विपक्षी मित्रों के साथ बातचीत करते हैं, हम हमेशा सभी का सहयोग चाहते हैं. इस बार भी ऐसी सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं."
पीएम मोदी ने कहा कि यह "लोकतंत्र का मंदिर" लोगों की आकांक्षाओं और विकसित भारत की नींव को मजबूत करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंच है और उन्होंने सभी सदस्यों से अच्छी तरह से तैयार होकर आने का आग्रह किया और विधेयकों पर गहन चर्चा का आह्वान किया ताकि अच्छे सुझाव सामने आएं.
पीएम मोदी ने कहा, लेकिन अगर चर्चा नहीं होती है तो देश उन चीजों को मिस करता है.
उन्होंने कहा, ``अगर मैं विधानसभा चुनाव परिणामों के आधार पर बोलूं तो विपक्षी मित्रों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है. उन्हें हार पर निराशा व्यक्त करने की योजना बनाने के बजाय, पिछले नौ वर्षों की नकारात्मकता की आदत को छोड़कर इस हार से सीखना चाहिए. यदि वे इस सत्र में सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ते हैं, तो देश उनके प्रति अपना दृष्टिकोण बदल देगा. उनके लिए एक नया द्वार खुल सकता है."
उन्होंने कहा, "वे विपक्ष में हैं लेकिन फिर भी मैं उन्हें अच्छी सलाह दे रहा हूं."
पीएम मोदी ने विपक्ष से सकारात्मक मानसिकता के साथ आगे आने का आग्रह किया.
प्रधानमंत्री ने कहा,"हर किसी का भविष्य उज्ज्वल है, उम्मीद खोने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन कृपया बाहर मिली हार की निराशा संसद के अंदर न निकालें. हताशा और निराशा होगी, आपके सहयोगियों को भी अपनी ताकत दिखाने की जरूरत होगी लेकिन ऐसा न करें यह लोकतंत्र का मंदिर वह मंच.``
पीएम मोदी ने कहा, "मैं अपने अनुभव के आधार पर कहता हूं, मैं कहूंगा कि अपनी (विपक्ष) दिशा को थोड़ा बदलिए, विरोध के लिए विरोध करने की आदत छोड़िए. रचनात्मक चीजों का समर्थन करें जो देश के हित में हैं, जो कमियां हैं उन पर बहस करें और आप देखेंगे कि लोगों के बीच ऐसी चीजों को लेकर जो नफरत है, वह प्यार में बदल सकती है."
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