आदित्य ने मुंबई के एनएससीआई डोम, वर्ली में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान कहा कि विधानसभा चुनावों में एमवीए की हार किसी ईवीएम गड़बड़ी की वजह से नहीं, बल्कि मतदाता सूची में फर्जीवाड़े के कारण हुई.
उन्होंने कहा, ‘मई 2024 में लोकसभा चुनाव में एमवीए को बड़ी जीत मिली, लेकिन केवल चार महीने बाद विधानसभा चुनावों में तस्वीर पूरी तरह उलट गई. यह कैसे संभव है? जवाब मतदाता सूची में छिपा है.’
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने फर्जी मतदाताओं को जोड़कर और वास्तविक नाम हटाकर चुनावी परिणामों को प्रभावित किया.
ठाकरे ने कहा, ‘पहले हमें लगा कि दिक्कत मशीन में है, लेकिन असल खेल मतदाता सूची में हुआ. जो वोट देना चाहते थे, उनका नाम गायब था और जो मर चुके थे, वे मतदाता सूची में जीवित दिखाए गए.’
प्रेजेंटेशन के दौरान आदित्य ने कई दस्तावेज़ी साक्ष्य और आंकड़े पेश किए. उन्होंने वर्ली विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए बताया कि एक व्यक्ति, जिसका नाम लोकसभा चुनावों की मतदाता सूची से मृत घोषित कर हटा दिया गया था, वही नाम विधानसभा चुनावों की सूची में फिर से दर्ज हो गया. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, ‘शायद उस व्यक्ति का पुनर्जन्म हो गया होगा.’
उन्होंने बताया कि मई से अक्टूबर 2024 के बीच वर्ली विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2,52,970 से बढ़कर 2,63,352 हो गई. इस अवधि में करीब 16,000 नए मतदाता जोड़े गए और 5,000 नाम हटाए गए, लेकिन विस्तृत विश्लेषण के बाद लगभग 19,000 विसंगतियाँ पाई गईं. ठाकरे के अनुसार, ‘यह वोट चोरी के अलावा और कुछ नहीं है.’
उन्होंने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इतने बड़े स्तर पर गड़बड़ी कैसे हो सकती है जबकि चुनाव आयोग खुद इस प्रक्रिया की निगरानी करता है. आदित्य ने आयोग से जवाब मांगा कि आखिर इतने कम समय में हजारों फर्जी नाम कैसे जोड़े और हटाए गए.
ठाकरे ने कहा कि आगामी बीएमसी और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों के लिए यह मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है.
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे राज्य चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित नई मतदाता सूची की सावधानीपूर्वक जाँच करें, ताकि किसी भी फर्जी नाम या हटाए गए वैध मतदाता की पहचान की जा सके.
उन्होंने चेतावनी दी, ‘अब चुनावी लड़ाई मंचों, भाषणों या बैनरों से नहीं, बल्कि मतदाता सूची को सही कराने से जीती जाएगी. जब असली मतदाता वोट देंगे, तभी असली प्रतिनिधि चुनकर आएँगे.’
आदित्य ठाकरे की यह प्रेजेंटेशन राहुल गांधी द्वारा सितंबर में दी गई उस रिपोर्ट की तर्ज पर थी, जिसमें उन्होंने मतदाता सूची में व्यापक हेरफेर का आरोप लगाते हुए इसे ‘वोट चोरी’ कहा था. ठाकरे का दावा है कि महाराष्ट्र की राजनीति में अब मतदाता सूची पारदर्शिता का मुद्दा सबसे बड़ा चुनावी हथियार बनेगा.
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