नागपुर जेल से बाहर निकलते ही गवली का मुंबई के स्स्वाथित उनके घर पर फूल-मालाओं से स्वागत किया गया. (Pics / Atul Kamble)
बड़ी संख्या में समर्थक उनके घर के बाहर इकट्ठा हुए और पटाखे फोड़े. मिठाई बांटते हुए लोगों ने गवली के जेल से बाहर आने की खुशी मनाई.
अरुण गवली को मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांदेकर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. 2007 में हुई इस हत्या ने मुंबई की राजनीति और अंडरवर्ल्ड जगत दोनों को हिला दिया था.
गवली, जो पहले अंडरवर्ल्ड से जुड़ी गतिविधियों के लिए पहचाने जाते थे, बाद में राजनीति में भी सक्रिय हो गए थे. उन्होंने अपनी पार्टी `अखिल भारतीय सेना` बनाई और खुद विधायक भी बने.
हालांकि, गवली का नाम लगातार आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा रहा. 2012 में उन्हें जामसांदेकर हत्याकांड में दोषी ठहराया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
तब से वह नागपुर सेंट्रल जेल में बंद थे. इस दौरान उनकी तबीयत भी कई बार बिगड़ी और उनकी उम्रदराज़ स्थिति को देखते हुए कई बार अदालत से राहत की मांग की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गवली की जमानत याचिका मंजूर की, जिसके बाद उनकी रिहाई संभव हो सकी. कानूनी जानकारों का मानना है कि गवली की उम्र, स्वास्थ्य और जेल में बिताए लंबे समय को देखते हुए अदालत ने यह फैसला दिया है.
गवली की रिहाई को लेकर जहां उनके समर्थक खुशी मना रहे हैं, वहीं राजनीतिक गलियारों और सुरक्षा एजेंसियों में भी चर्चा तेज हो गई है.
कई लोग मानते हैं कि गवली का बाहर आना मुंबई की राजनीति और अपराध जगत दोनों पर असर डाल सकता है.
अब देखना होगा कि 76 साल की उम्र में अरुण गवली दोबारा सक्रिय होते हैं या सियासत और अंडरवर्ल्ड से दूरी बनाए रखते हैं.
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