ग्रीन हाइड्रोजन के लिए डीपीए (दीन दयाल पोर्ट अथॉरिटी) का विजन
कांडला पोर्ट को हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित करने के केंद्र सरकार के फैसले के अनुरूप, डीपीए-कांडला ने दिसंबर 2024 में बंदरगाह संचालित 1 मेगावाट हरित हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित करने के लिए परिचालन शुरू किया, जिसे बाद में 10 मेगावाट क्षमता तक बढ़ाया जाएगा.
भारत के समुद्री क्षेत्र में टिकाऊ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण प्रयास है. इस संयंत्र का प्राथमिक उद्देश्य इंजीनियरों और तकनीशियनों को हरित हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और हैंडलिंग पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रभावी मंच प्रदान करना है. बंदरगाह के परिचालन बुनियादी ढांचे में नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा.
तीन माह के रिकार्ड समय में 1 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइजर का उत्पादन
एलएंडटी हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में एक स्थापित संगठन है. लगभग एक साल पहले प्रधान मंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया हजीरा का 1 मेगावाट का हरित हाइड्रोजन संयंत्र भी उसी संगठन द्वारा स्थापित किया गया था. एलएंडटी को कांडला में बनने वाले हरित हाइड्रोजन संयंत्र के लिए आवश्यक इलेक्ट्रोलाइजर के निर्माण का काम भी सौंपा गया था.
मेड-इन-इंडिया पहल के लिए प्रतिबद्ध, एलएंडटी ने केवल तीन महीने के रिकॉर्ड समय में इस 1 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र का सफलतापूर्वक निर्माण किया. इलेक्ट्रोलाइज़र किसी भी हरित हाइड्रोजन संयंत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, जो हाइड्रोजन उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र को जुलाई 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है
चूंकि कांडला में साइट का काम पूरा हो चुका है, इसलिए इन इलेक्ट्रोलाइज़र को जल्द ही साइट पर असेंबल किया जाएगा. ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र को जुलाई 2025 तक पूरी तरह से चालू करने का लक्ष्य है. इसकी अनुमानित उत्पादन क्षमता 18 किलोग्राम हरित हाइड्रोजन प्रति घंटा है. जो लगभग 80-90 टन प्रति वर्ष है. इससे डीपीए कांडला देश का पहला बंदरगाह बन जाएगा जिसके पास बंदरगाह परिसर के भीतर स्थापित स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके परिचालन हरित हाइड्रोजन संयंत्र होगा.
ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन कोशिकाओं के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाएगा, जिससे बंदरगाह पर आत्मनिर्भर और पर्यावरण-अनुकूल बिजली समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा. इसके अतिरिक्त, डीपीए के पास संयंत्र में आवश्यक मॉड्यूल को शामिल करके हरित अमोनिया उत्पादन को एकीकृत करने की महत्वाकांक्षी योजना है. इससे वैश्विक हरित ऊर्जा क्षेत्र में भारत की स्थिति और मजबूत होगी और कार्बन तटस्थता लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान मिलेगा.
यह ऐतिहासिक लक्ष्य भारत को माननीय प्रधान मंत्री के टिकाऊ और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के करीब लाता है, साथ ही 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की प्रतिबद्धता के साथ भी जुड़ता है.
श्री टीके रामचंद्रन, सचिव, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, आईआरएसएमई, अध्यक्ष-डीपीए श्री सुशीलकुमार सिंह और एलएंडटी ग्रीन एनर्जी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री डेरेक एम. शाह मौजूद थे. जबकि डीपीए के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने गांधीधाम से इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को वर्चुअली देखा.
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